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बभनी ब्लॉक के धनखोर गांव मे बिजली विभाग का बडी खुलासा , कागज़ पर डकार गये, अढतीस लाख बयासी हजार आठ सौ छप्पन रुपये

* जनसूचना अधिकार के तहत हुई खुलासा
* जिलाधिकारी ने लिया मामले को गंभीरता से
बभनी | बभनी ब्लॉक के धनखोर गांव को वर्ष 2011-12 मे अम्बेडकर घोषित किया गया था ,कि शायद गांव की चहुमुखी विकास हो  लेकिन ऐसा नहीं हुआ।शासन द्वारा धनखोर को विद्युतीकरण के लिए पैसे तो मिले लेकिन सिर्फ़ कागजों तक ही सिमटी रह गयीं।मात्र दो चार पोल तक ही लगाए गये।इस संबंध मे रामप्रकाश यादव निवासी कोंगा ने दिनांक 31/5/2016को धारा 5 के19(1)के तहत अधिक्षण अभियंता विद्युत वितरण सोनभद्र कार्यालय मे जनसूचना के तहत कराये गये कार्यों की ब्यौरा मांगी थी। लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गयीं।पुनः वादी द्वारा दिनांक 01/07/2017को मा०आयुक्त राज्य सूचना आयोग लखनऊ मे अपील की।लेकिन इस मांगे गये सूचना की रिपोर्ट देने मे एक वर्ष लग गये।प्राप्त रिपोर्ट मे अधिशासी अभियंता  लक्ष्मीशंकर ने अपने पत्र मे कार्यो की ब्यौरा मे दिया है कि  10 K.V.A. का ट्रांसफारमर 17 नग लगाए गये हैं।तथा 250नग पोल लगाए गये हैं।धनखोर गांव को विद्युतीकरण कराने के लिये राज्य सरकार से सामग्री एवम लेबर चार्ज मे कुल धनराशि 38,82856/रुपये की लागत लगाई गयीं है। जबकि पिछले 6माह से ग्राम प्रधान विद्यावती देवी ने बताया कि कई तहसील दिवस का चक्कर काटने के बाद 2ट्रांसफार्मर धनखोर व 1 ट्रासफारमर राजस्व गांव जूरा मे लगवाया ।सबसे बडा सवाल उठता है कि आखिरकार जिस किसी ठेकेदार ने यदि गांव मे पोल ,तार , ट्रांसफार्मर लगवाये तो विजली विभाग का कोई अफसर मौके पर देखा?सरकार के बडे अफसरों की या तो कमी मानी जाय? या तो अफसर शाही?इस संबंध मे जिलाधिकारी ने बताया ,कि पूरे मामले की जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी । ग्रामीणों मे लक्ष्मण प्रसाद, रामलखन,संतोष कुमार,विश्वनाथ रेशम सिंह  आदि ने जिला प्रशासन से जांच कराने की मांग की है।

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