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मानवीय मूल्यों की रक्षा करना पत्रकारिता का धर्म है

सरकार व प्रशासन को मीडिया के माध्यम से तथ्यों की जानकारी मिलती है। दबाव बनता है और इसके कारण ही समस्याओं का ससमय समाधान हो पता है। इसके लिए जरूरी है कि पत्रकार स्थापित मूल्यों को ध्यान में रखकर निर्भीक तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। पत्रकारिता लोकतंत्र का

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पत्रकारों को मर्यादा की सीमा के अंदर रहना चाहिए

वरिष्ठ अनुभवी पत्रकार बंधुओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्रकारिता की अगर हम बात करें, पत्रकारिता मर्यादा की सीमा के अंदर रहना चाहिए। पत्रकारिता भाषा की मर्यादा शिष्टाचार सामग्री चयन में निष्पक्षता सौम्यता पर आधारित पत्रकारिता होना अनिवार्य है । अनुभवी पत्रकार बंधुओ से प्राप्त जानकारी के अनुसार कभी भी

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गीता में कृष्ण ने कहा है परिस्थितियों से भागो मत उसके सामने डटकर खड़े हो जाओ क्योंकि कर्म करना ही मानो जीवन का पहला कर्तव्य है।

हम कर्मों से ही मुश्किलों को जीत सकते हैं। धर्म और कर्म ही महत्वपूर्ण है। हम सबको अपने कर्मों का पालन करते हुए धर्म परायण रहना चाहिए। आप कोई भी हो संसार में आए हैं तो संघर्ष हमेशा रहेगा। मानव जीवन में आकर परमात्मा भी शारीरिक चुनौतियों से बच नहीं

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गीता का दर्शन उपनिषद साहित्य की परंपरा का विस्तार है। यहां सन्यास त्याग नहीं है और योग बंधन कारक नहीं

ध्यान योग का भौतिक विज्ञान अध्याय 6 में सन्यास और योग प्राचीन भारतीय अवधारणाएं हैं। सन्यास और योग भारत की तरफ से विश्व संस्कृत को दिए गए अमूल्य उपहार हैं। समाज जीवन में सन्यास व योग की चर्चा अक्सर होती है। संप्रति सन्यास और योग भी बाजार का हिस्सा बने

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पत्रकारिता कई अलग-अलग भूमिका निभाती है

पत्रकारिता में सबसे महत्वपूर्ण है यह जनता को सूचित करने का कार्य करता है। यह एक खुला माध्यम है जिसका अर्थ है कि लक्षित दर्शकों में संपूर्ण समुदाय या जनता शामिल है। जब पत्रकार सूचना रिपोर्ट करता है संचार भेजता है तो वह जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक किसी भी

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हम सबके मार्गदर्शक मनीषी चिंतक विचारक साहित्यकार पत्रकार व कुशल राजनीतिज्ञ श्रद्धेय परम आदरणीय माननीय सम्माननीय श्री हृदय नारायण दीक्षित

श्री हृदय नारायण दीक्षित प्रतिष्ठित चिंतक विचारक पत्रकार साहित्यकार व राजनेता हैं। श्री दीक्षित सार्वजनिक जीवन में 1968 में आए वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सम्मिलित हुए। तमाम जन संघर्षों आंदोलन से जुड़े। आपातकाल 1975 77 में 19 माह जेल में रहे। पांच बार विधानसभा के सदस्य रहे। विधान परिषद

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पत्रकारिता लेखन का मुख्य लक्ष्य सटीक और वस्तुनिष्ठ समाचार कवरेज प्रदान करना है।

पत्रकार तथ्यों को इकट्ठा करते अनुसंधान करते हैं और घटनाओं का निष्पक्ष और निष्पक्ष विवरण प्रस्तुत करने के लिए स्रोतों का साक्षात्कार करते हैं। वे स्पष्ट संक्षिप्त और दिलचस्प तरीके से जानकारी देने का प्रयास करते हैं जो पाठकों का ध्यान खींचती है और उन्हें विषय को समझने में मदद

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वरिष्ठ पत्रकार बंधुओ से व गुरु जनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार नारद जी एक लोक से दूसरे लोक में भ्रमण करते हुए संवाद संकलन का कार्य कर सक्रिय एवं सार्थक संवाददाता की भूमिका निभाई

संवाद के माध्यम से नारद जी ने तोड़ने का नहीं बल्कि जोड़ने का कार्य किया। इसलिए वह पत्रकारिता के प्रथम पितृ पुरुष हैं। सृष्टि के पहले पत्रकार के रूप में माना जाता है नारद मुनि ने अपने जीवन में सूचनाओं का जो भी आदान प्रदान किया वह हमेशा लोगों के

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वास्तव में नारद पत्रकारिता के पितृ पुरुष हैं। ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में देव ऋषि नारद एक है।

अपने चरित्र के अभिमान को कैसे त्यागे नारद से सीखें एक समय राजा उग्रसेन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि वासुदेव नारद जी के गुणगान से मनुष्य को देवलोक की प्राप्त होती है। इसे इतना मैं समझता हूं कि नारद सर्व सद्गुणों में संपन्न है परंतु हे केशव आप मुझे

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पत्रकारिता के नियमानुसार समाज के मुद्दों को उठाना जनता की आवाज बनकर उनके हकों के लिए सरकार से लड़ना

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना सरकार की गलतियों को उजागर करना। सरकार के अच्छे कार्यों को प्रकाशित करना। लेकिन अगर यही पत्रकारिता जिम्मेदारियां के साथ नहीं की जाए तो जनता समाज और सरकार के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कही जाने वाली इसी पत्रकारिता

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