कम उम्र के दोनों हाफिज ने कुरआन पाक को किया मुकम्मल
लखनऊ। माह-ए-रमजान के महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है। बुराई पर अच्छाई हावी हो जाती है। इस महीने मुसलमान अपनी चाहतों पर नकेल कस सिर्फ अल्लाह की इबादत करते हैं। यूं तो एक दिन में पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है। लेकिन रमजान के महीने में तरावीह की नमाज पढ़ना भी जरूरी होती है। रमजान के मुबारक महीने में 15 और 14 वर्ष के हाफिज जैद और हससान ने दो पांरे रोज सुन कर कलाम पाक मुकम्मल किया। 15 दिन में कलाम पाक हुआ मुकम्मल। थाना चौक अंतर्गत पाटा नाला स्थित नासिर अली के घर पर कम उम्र के दोनों हाफिज ने मिलकर कलाम पाक को किया मुकम्मल। तरावीह की नमाज में कुरआन की तिलावत कर हाफिज जैद और हससान ने कलाम पाक मुकम्मल किया। इस अवसर पर नासिर अली के घर पर कुरान मुकम्मल होने की खुशी में विशेष इंतजाम किए गए थे। घर में विशेष रोशनी के साथ ही तरावीह की विशेष नमाज के बाद मिठाई वितरित भी की गई। नासिर अली ने कहा कि इंशाल्लाह अब हर साल तरावीह की नमाज में हाफिज जैद और हससान ही कुरआन सुनेंगे। इस मौके पर हाफिज जैद और हससान को तोहफों आदि इनामो-इकराम से नवाजा गया। 15 दिन की तरावीह की नमाज अदा करने के बाद हाफिज जैद और हससान ने मुल्क की तरक्की और भाई चारगी और अम्नो अमान के लिए व सभी कि रोजी रोजगार में बरक्कत के लिए दुआएं की।गौरतलब रहे कि हाफिज माहे रमजान में आयोजित होने वाली विशेष तरावीह की नमाज में कुरआन सुनाते हैं। हाफिज उसे कहा जाता है जो बिना देखे कुरआन की तिलावत कंठस्थ किया करते हैं। अधिकांश मदरसों में दसदृबारह साल से 15-16 साल की उम्र तक के तालिबे इल्म कुरआन कंठस्थ कर लेते हैं। रमजान के महीना में विषेश नमाज तरावीह में कुरान मुकम्मल होने पर मौलाना ने फरमाया कि वह लोग खुशनसीब हैं जिनको तरावीह में अल्लाह का कलाम कघ्ुरआन सुनने के लिए मिला। बहुत खुश नसीब हैं वो लोग जो तरावीह के नमाज में पुरे कघ्ुरआन मजीद सुनें। आगे इन्होंने कहा कि अल्लाह ने कुरान के बारे में फरमाया है कि हमने ही इसको नाजिल किया है हम ही इसकी हिफाजत करेंगे। आगे उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को रोजा रखना चाहिए और अल्लाह की इबादत करनी चाहिए। इस मौके पर नासिर अली, नाजिम अली, महताब अहमद, रहील खान, शोएब खान, आदिल खान व आदि स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे।