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धानेपुर के दुल्हापुर गांव में खुलेआम धधक रहीं कच्ची शराब की भट्ठियां

लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 का मखौल उड़ा रहे शराब कारोबारी

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा गोण्डा। जिले के धानेपुर थाना क्षेत्र का दुल्हापुर गांव अवैध कच्ची जहरीली शराब का हब बन गया है। वैसे तो पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर जिलेभर में अवैध शराब के खिलाफ पुलिस द्वारा छापेमारी की जा रही लेकिन जनपद का यह शायद इकलौता ऐसा गांव है, जहां पुलिस दबिश देने का साहस नहीं जुटा पा रही है। यही कारण है कि लॉकडाउन के दौरान भी यहां खुलेआम शराब की भट्ठियां धधक रही हैं और कच्ची के शौकीन लोग निषेधाज्ञा, लॉकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की खिल्ली उड़ा रहे हैं। सबसे दुखद और आश्चर्य की बात यह है कि इलाकाई पुलिस सब कुछ जानते हुए भी मौन धारण किए है।
गोण्डा जिले के धानेपुर थाना क्षेत्र का दुल्हापुर गांव कच्ची जहरीली शराब के लिए कुख्यात रहा है। यहां की शराब जिले के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही पड़ोसी जिलों में भी पहुंचाई जाती है। वैसे तो जिलेभर में कच्ची शराब का कारोबार कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है लेकिन अधिकांश जगहों पर कोरोना महामारी की दहशत के कारण लोग फिलहाल लॉकडाउन में शराब बनाने और बेचने का धंधा बंद किए हुए हैं किंतु धानेपुर के दुल्हापुर गांव में कच्ची शराब का कारोबार करने वालों को न तो कोरोना महामारी का खौफ है, न ही लॉकडाउन, सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 के उल्लंघन का। सूत्रों के अनुसार यहां की तमाम महिलाओं द्वारा कच्ची शराब बनाने तथा बिक्री करने की शिकायत थाने और डायल 112 से लेकर अधिकारियों तक से की गयी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। गांव वालों को डर है कि यहां शराब पीने व खरीदने के लिए आने वाले बाहरी गांवों के लोग कहीं कोरोना ना ले आएं और पूरे गांव तथा आसपास के लोगों को बांट जाएं?
दुल्हापुर गांव की करीब दो दर्जन महिलाओं के साथ ही पुरूषों ने भी नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शराब का कारोबार करने वाले लोग बहुत मनबढ़ और दबंग किस्म के हैं। इसीलिए पुलिस भी यहां छापा मारने से पीछे हट जाती है। ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि आबकारी विभाग तो जैसे है ही नहीं। ऐसा लगता है जैसे यह विभाग तो सिर्फ शराब का कारोबार करने वालों से अवैध वसूली करने के लिए बना है? गांव वालों ने बताया कि जब भी इनके खिलाफ कुछ होता है तो थाने की पुलिस ही करती है। आबकारी विभाग ने आज तक कभी छापेमारी ही नहीं की है। गांव वालों ने बताया कि स्थानीय पुलिस तथा अन्य जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं की गई तब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर दर्ज कराई गई है। अब यह देखना है कि क्या मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत पर कार्रवाई की जाती है या उसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है ?

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