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गंगाजल ब्रम्हा द्रव है

बलिया | गंगाजल ब्रह्म द्रव है इससे बिजली बनाने की परियोजनाएं बंद नहीं हुई। तो प्राकृतिक धरातल पर सिर्फ विपरीत अता ही नजर आएगी भारत की आत्मा गंगा को राजनीति साधना का औजार बनाकर सियासत का सौंदर्य सजाने से अच्छा है केंद्र सरकार भारतीय संस्कृति की प्रमुख छाती पतित पावनी गंगा एवं एवं भागीरथ के अरमानों को अब और क्षतिग्रस्त ना होने दें ।उक्त बातें कदम चौराहा स्थित अमर शहीद मंगल पांडे की प्रतिमा पर माल्यार्पण के पश्चात गंगा मुक्ति चेतना यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने कही कहां के गंगा संस्कृति हैं। जो सिर्फ सलाम करने के लिए है भौतिक व्यवसायिक तथा राजनैतिक संसाधन बनाने के लिए नहीं कहा 14 जून 1986 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा शुरू की गई। गंगा सफाई की योजना फेल हो गई और अब नमामि गंगे योजना भी पूरी तरह असफल हैं। सोचो संस्कार में बदलाव लाकर ही गंगा को सलामत रखना संभव है मानवीय हरकतों से गंगा धरा धाम से पूरी तरह पलायन कर गई। तो प्राकृतिक प्रकोप और बढ़ेंगे सरकार को इस ज्वलंत मुद्दों को समझना चाहिए। इस अवसर पर सुनील कुमार सिंह ,मनीष कुमार सिंह ,रणजीत सिंह ,चंद्रभूषण पांडे ,राजू चौबे सहित मौजूद रहें।

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