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खुद बचें-दूसरों को भी बचाएं, पीपीई किट इधर-उधर न फैलाएं

सीतापुर,। कोविड-19 के खिलाफ जंग में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों, अस्पतालों व अन्य कार्यस्थलों के स्टाफ को सुरक्षित बनाने में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट की बड़ी भूमिका है, लेकिन जरूरी बात यह है कि इसे इस्तेमाल के बाद सही तरीके से निस्तारित किया जाए । इस्तेमाल के बाद इधर-उधर खुले में छोड़ देने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। अस्पतालों, एम्बुलेंस, एयरपोर्ट और यहां तक कि श्मशान घाटों तक पर खुले में फेंकी गयी पीपीई किट के बारे में चिकित्सकों का साफ़ कहना है कि ऐसा करके हम खुद को बचा नहीं रहें हैं बल्कि अपने साथ ही दूसरों को भी मुश्किल में डालने का काम कर रहे हैं। एसीएमओ डॉ. पीके सिंह का कहना है कि इस्तेमाल की गयी पीपीई किट से कम से कम दो दिन तक संक्रमण का पूरा खतरा रहता है। इसलिए किट का चाहे मास्क हो या गाउन उसको इधर-उधर न फेंके बल्कि उसके लिए निर्धारित ढक्कन बंद पीली डस्टबिन में ही डालें और अस्पतालों को भी चाहिए कि इस बायो मेडिकल वेस्ट (अस्पताल के कचरे) के निस्तारण की व्यवस्था दुरुस्त रखें। उनका कहना है कि ऐसा देखने में आया है कि कुछ लोग किट को इस्तेमाल के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं जो कि गंभीर मामला है। वह बताते हैं कि इसके लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने गाइड लाइन जारी की है कि पीपीई किट के इस्तेमाल और निस्तारण में किस तरह से सावधानी बरतनी है। उसके मुताबिक़ ही इसके निस्तारण में सभी की भलाई है। उनका कहना है कि अगर कोई भी पीपीई किट को इस्तेमाल के बाद इधर-उधर खुले में फेंक देगा तो उसका यह कृत्य इस लड़ाई को कमजोर बना सकता है। इसलिए खुद के साथ दूसरों को भी सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी है कि एक जिम्मेदार नागरिक की भांति इस्तेमाल के बाद किट को ढक्कन बंद डस्टबिन में ही डालें।
इनसेट
पीपीई किट में क्या-क्या है शामिल —
इस किट में सिर से पाँव तक को पूरी तरह से कवर करने का पूरा ध्यान रखा गया है । इसमें सिर को ढकने के लिए कैप, गागल्स/फेस शील्ड, ट्रिपल लेयर मास्क, ग्लव्स, गाउन (एप्रन के साथ व एप्रन के बिना दोनों तरह से) और शू कवर शामिल हैं। इसमें से कोई भी चीज को इस्तेमाल के बाद खुले में फेंकने पर पूरी तरह से मनाही है, क्योंकि इसके संपर्क में आने से कोई भी संक्रमण की जद में आ सकता है।

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