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OLA कैब बुक करे तो सोच समझ कर

‘ओला’ ने अपने ग्राहकों की जान से किया खिलवाड़
कमीशन के चक्कर में लोगों की चिन्ता नहीं कर रही ‘ओला’
दुर्घटनाग्रस्त वर्षो से खड़ी गाड़ी में की जा रही थी बुकिंग
ओला की गाड़ियों से किये जा सकते हैं संज्ञेय अपराध
मानकों को ताक पर ‘ओला’ कैब कम्पनी चला रही है गाड़िया
कानपुर। ओला कैब के माध्यम से यात्रा करने वाले लोेगों को इस कैब कम्पनी से सावधान रहने की आवश्यकता है। यह कैब कम्पनी कमीशन के लालच में लोगों की जान को दाव पर लगा रही है और ऐसा मामला प्रकाश में आ चुका है। बिगत 19 अप्रैल 2023 को वरुण विहार निवासी श्याम सिंह पंवार ने चकेरी से वरुण विहार के लिये ओला एप द्वारा एक टैक्सी बुक की थी। ओला एप द्वारा जिस कार की बुकिंग की गई, वह अर्मापुर एस्टेट में दुर्घटनाग्रस्त हालात में वर्षों से खड़ी है। इसकी शिकायत श्री पंवार ने गुजैनी थाना में की है और कैब कम्पनी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाई करने की मांग की है।
बताते चलें कि वरुण विहार निवासी, भारतीय प्रेस परिषद् के सदस्य श्याम सिंह पंवार बिगत दिनाँक 19 अप्रैल 2023 को मुम्बई से कानपुर आये थे। उन्होंने चकेरी एअरपोर्ट से वरुण विहार के लिये ओला (ओ0 एल0 ए0) एप के माध्यम से एक टैक्सी/कार की बुकिंग की थी जिसका नम्बर यूपी 78 एफ एन 5980 था, किन्तु जब वो अपने घर के पास यात्रा करने वाली टैक्सी से उतरे और उन्होंने देखा तो उस टैक्सी का नम्बर यूपी 74 टी 5446 था। पता करने पर जानकारी मिली है कि यूपी 78 एफ एन 5980 नम्बर की कार वर्षो से अर्मापुर स्टेट में दुर्घटनाग्रस्त हालत में खड़ी है। मिली जानकारी के अनुसार कार की फिटनेस 16 जनवरी 2021 तक, इन्श्योरेंस 15 जनवरी 2020 व टैक्स 31 दिसम्बर 2019 तक वैध है। ऐसे में दिनाँक 19 अप्रैल 2023 को ओला एप्प के माध्यम से बुकिंग होना एक गम्भीर फ्राड की ओर इशारा करता है और यह पुष्टि करता है कि ओला कैब कम्पनी द्वारा इसी कार से हजारों लोगों की जानमाल से खिलवाड़ किया जा रहा है और ऐसी आशंका है कि इसी तर्ज पर और भी फ्रॉड किये गये होंगे। आज के डिजिटल युग में इसे कोई चूक नहीं कह सकते बल्कि कम्पनी द्वारा कमीशन के लालच में शहर के लोगों की जानमाल के साथ जानबूझ कर खिलवाड़ किया जा रहा है। यह भी पता चला है कि कानपुर नगर में ओला कैब कम्पनी से सम्बद्ध गाड़ियों में अनेक मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है जैसा कि दिल्ली, मुम्बई सहित अन्य महानगरों में देखने को मिलता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर किसी भी तरह की अनहोनी घटित हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? ओला कैब कम्पनी, दुर्घटनाग्रस्त हालत में अर्मापुर एस्टेट में खड़ी कार का मालिक, कार चालक या यात्रा कराने वाली कार का मालिक? इससे कतई इन्कार नहीं किया जा सकता है ओला कैब कम्पनी, उससे सम्बद्ध गाड़ियों के मालिक, चालक रुपये कमाने के लिये जानबूझ कर कूटरचित तथ्यों का सहारा लेकर ओला एप के माध्यम से बुकिंग कर यात्रा करने वाले व्यक्ति/व्यक्तियों की जानमाल के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं ओला कम्प्नी के रीजनल सेल्स मैनेजर अंकुर त्रिपाठी ने स्वयं सत्यापन किया है कि कानपुर महानगर में चल रही गाड़ियों में मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है। उन्होंने यह तक माना है कि ओला एप के द्वारा गाड़ी बुक करने वालों के साथ किसी भी तरह के अपराध हो सकते हैं यहां तक कि आतंकी हमलों तक को आसानी से अंजाम दिया जा सकता है। ऐसे में यह महिलाओं की सुरक्षा के प्रति एक गम्भीर मुद्दा है और इसे कतई नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है।
पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर उठ रहा सवाल ?
ओला कैब कम्पनी, कम्पनी से सम्बद्ध गाड़ियों के मालिक व उनके चालकों द्वारा कूटरचित तथ्यों का सहारा लेकर यात्रियों की जानमाल व सुरक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों पर पुलिस अधिकारी प्रभावी कार्यवाई क्यों नहीं कर रहे हैं। लगभग एक सप्ताह गुजरने को है लेकिन पुलिस अधिकारियों ने आज तक पर्याप्त जानकारी क्यों नहीं जुटाई है ? यह वही पुलिस विभाग है जो अपने मुखबिरों अथवा अपने कारखास के सहारे बड़े – बड़े अपराधों का खुलासा कर अपनी पीठ थपथपाने से नहीं चूकती है लेकिन लोगों की सुरक्षा से जुड़े इतने संवेदनशील मुद्दे को नजरअन्दाज क्यों कर रहा है ? क्या पुलिस अधिकारी किसी अदृश्य दबाव में है या ‘कुछ’ और ?
इस मामले में खास बात यह है कि शिकायत कर्ता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया गया और मौके पर पकड़े गये चालक विजय कुमार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए औपचारिकता निभा दी है। वहीं फ्रॉड करने वाली ओला कैब कम्पनी, दोनों गाड़ियों के मालिकों के खिलाफ कार्यवाई करने से गुजैनी पुलिस किनारा काटती दिख रही है।

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