अयोध्या। जिले के दो गांवों के चार हजार मतदाताओं ने आज मतदान का बहिष्कार करने की घोषणा की है।अयोध्या और बस्ती जिले की सीमा विवाद के बीच काजीपुर व रामपुर पुवारी ग्राम सभा को अयोध्या के राजस्व विभाग ने भी खारिज कर दिया है। इसके बाद अब अपने अस्तित्व की तलाश कर रहे ग्रामीणों में सरकार की नीतियों को लेकर गहरी नाराजगी है। उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में शासन-प्रशासन वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।लेकिन अयोध्या जनपद के गोसाईगंज विधानसभा का क्षेत्र जिसके लगभग चार हजार मतदाता इस बार वोट नहीं देंगे। क्योंकि इस गांव के लोगों को अपने जनपद का ही पता नहीं रह गया है। दरअसल अयोध्या जनपद के राजस्व विभाग ने ग्राम पंचायत माझा काजीपुर व माझा रामपुर पुवारी के ग्रामीणों का नाम खारिज कर दिया है।वैसे इनको तो सरकारी सुविधा सारी मिल रही है फिर भी उनके गांव को भूलेख के अभिलेख से गायब कर दिया गया है। भूलेख में इनका गांव ही नहीं दिखता ना उनकी खसरा खतौनी ऑनलाइन निकल रही है। इन लोगों का कहना है कि जब हम लोगों को सारी सरकारी सुविधा मिल रही है तो हम लोगों का जमीन मकान कहां पर है,हम लोग यहां सैकड़ों वर्षों से निवास करते चले आ रहे हैं उसके बाद भी हम ना अपनी जमीन बेच सकते हैं और ना ही खरीद सकते हैं। इसी को लेकर अब ग्रामीणों में नाराजगी है। विकास खंड मया बाजार के ग्राम पंचायत माझा काजीपुर व माझा रामपुर पुवारी के दोनों ग्राम पंचायतों को चिराग रहित ग्राम पंचायत बताया जा रहा है। जबकि देखा जाए तो दोनों गांव की लगभग सात हजार आबादी होगी। ग्रामीणों के मुताबिक 2008 में चकबंदी के समय में कानून व प्रधान के बीच कहा सुनी होने के कारण पूरे गांव को कानूनगो के कोप भाजन का शिकार होना पडा है।गांव के कई सुविधाओं को भी रोक दिया गया है और अब सभी ग्रामीण अधिकारियों के रवैए से नाराज हैं। जिसको लेकर इस बार लोकसभा चुनाव में बहिष्कार का फैसला किया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि कानूनगो ने कहा था कि यह विवाद बहुत महंगा पड़ेगा और उसने उसको कर दिखाया। सीमा विवाद में उलझा काजीपुर माझा ग्राम पंचायत को ना तो फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या जनपद में रखा गया और ना ही बस्ती जनपद में है।माझा काजीपुर ग्राम पंचायत के आसपास चारों तरफ के ग्राम पंचायत की खतौनी भी ऑनलाइन नहीं निकलती है। कई ग्राम पंचायतों के बीच में माझा काजीपुर की खतौनी 2018 से नहीं निकल रही है। ग्रामीणों को जो सरकारी सुविधा मिलती थी उस पर भी लगाम लगता हुआ चला जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही बाढ़ के प्रकोप से ग्रामीणों को कई तरीके से नुकसान हुआ था। लेकिन सरकारी सुविधाएं उनको इसलिए नहीं मिली क्योंकि राजस्व विभाग में उनका कोई अभिलेख नहीं है। कई पीढ़ियों से रह रहे ग्रामीण इनके पास बहुत पुरानी 2018 तक की खतौनी और 2021 तक के लगान की रसीद भी है। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने एक नारा देकर मतदान बहिष्कार किया है। जिसमें सीधे राजस्व विभाग को टारगेट किया गया है। राजस्व विभाग में ग्रामीणों का नाम नहीं है, इसीलिए 2024 में मतदान नहीं करेंगे। ग्राम प्रधान धर्मेश चौहान ने बताया कि 3271 बीघा जमीन बस्ती में चली गई है शेष 480 बीघा जमीन बची है। इस गांव में कोरी ,चौहान, बेलदार ,धोबी आदि लोग निवास करते हैं। हम लोग यह लड़ाई 2008 से लड़ते चले आ रहे हैं,जिसकी कोई सुनवाई आज तक कहीं भी नहीं हुई है।इसलिए मजबूर होकर हम लोग इस बार चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं।