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सोशल मीडिया और एक अलग पहचान की तलब

सोशल मीडिया जनसंचार का एक बेहद सशक्त माध्यम है इसके द्वारा लोगों के मध्य एक पारस्परिक अंतरजाल का निर्माण होता है, और इससे जुड़े लोग आपस में एक आभासी समूह निर्मित करते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां लोगों को अपनी बात रखने के लिए किसी दूसरे का

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कोरोना महामारी में डिजिटल मीडिया एक वरदान है या अभिशाप

कोरोना महामारी ने तीव्र गति से दौड़ती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था का चक्का जाम कर दिया है। ऐसी स्थिति में हिंदू-मुस्लिम, गरीब-अमीर, किसान, मजदूर, छात्र सभी लॉकडॉउन की वजह से जहां भी थे वहीं रहने को मजबूर हुए। लोगों ने डिजिटल मीडिया जैसे सोशल साइट्स, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि माध्यम से अपनों

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ऑनलाइन शिक्षा की उंगली पकड़ कर क्या चलना बच्चों के लिए उचित है ?

आज छोटे बच्चों को जैसे ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है वो अवैज्ञानिक है। पूरे भारत में लाक डाउन के चलते स्कूल कॉलेजों में ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया है कुछ निजी संस्थानों ऐसे प्रचिलित कर रहे हैं मानो बहुत बड़ा विशेष काम कर रहे हैं वे इसे अपने प्रचार का

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तब्लीगी जमात की घिनौनी करामात -योगेश कुमार गोयल

फिलीपींस में राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेते द्वारा वहां लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं। दरअसल वहां लोग धड़ल्ले से लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे थे, जिससे कोरोना का खतरा वहां लगातार बढ़ रहा था। सिंगापुर में भारतीय मूल के 52 वर्षीय

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नेपाल में बैठा ‘जालिम’ आखिर बिहार में तबाही क्यों मचाना चाहता है -मुरली मनोहर श्रीवास्तव

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से देश की जंग जारी है। फिर भी कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में लगातार बढ़ती जा रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इसू बीच सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) ने कोरोना संदिग्ध भारतीय मुसलमान के

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कोरंटाईन की परंपरा आज की नहीं -लिमटी खरे

कोरोना कोविड 19 वायरस के प्रकोप के चलते क्वारंटाईन या हाऊस आईसोलेशन का चलन बहुतायत में हो रहा है। मीडिया में इन दोनों शब्दों का प्रयोग होने से आज की युवा पीढ़ी के मन में उपज रहे ये नए शब्द कौतुहल पैदा कर रहे हैं।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

लेखिका - डॉ कामिनी वर्मा लखनऊ ( उत्तर प्रदेश ) दिसंबर 1929 लाहौर में रावी नदी के तट पर हुए कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पूर्ण स्वराज राष्ट्रीय आंदोलन का लक्ष्य रखा गया । 26 जनवरी 1930 को सम्पूर्ण देश मे स्वतंत्रता दिवस भी मनाया गया। पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति के

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लंबी लड़ाई के लिए कमर कसनी होगी

पुष्पेश पंत अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारकिसी भी देश की विदेश नीति का सर्वप्रमुख कर्तव्य उसके राष्ट्रीय हितों का संरक्षण होता है और इन हितों में सबसे प्राथमिक है एकता-अखंडता की हिफाजत तथा राज्य की संप्रभुता को अक्षुण्ण रखना. भारत की विदेश नीति का प्रयास भी आजादी से आज तक यही

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सियासत का समाज से टूटता नाता

बद्री नारायण भारतीय राजनीति राजसत्ता की राजनीति में सिमटती चली गई है, जबकि इसका मूल स्वर समाज बदलने की राजनीति से जुड़ा रहा है। आजादी की लड़ाई के वक्त से राष्ट्र निर्माण की राजनीति समाज निर्माण की राजनीति से बहुत गहराई से जुड़ी रही। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल,

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अब तो कांग्रेस बदले अपने रंग-ढंग

विजय संघवीदेश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस गहरी मुश्किलों में उलझी है। इससे इसके अस्तित्व के लिए भी संकट पैदा हो गया है। हालांकि गहरी राजनीतिक समझबूझ रखने वाले पार्टी के कुछ लोग जानते हैं कि पार्टी के समक्ष यह गंभीर संकट नेतृत्व के अभाव की वजह से नहीं, बल्कि

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