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शरद पूर्णिमा को शुरू होती है ये रामलीला, कार्तिक की दशमी को जलता है रावण

महर्षि वाल्मीकि के पूजन से आरम्भ हुआ बरहा, आलमबाग का 62वां रामोत्सव 
रामलीला के पहले दिन जन्मा रावण  
(रंजीव) लखनऊ। पिछले 61 सालों से बरहा रेलवे कालोनी, आलमबाग में खेली जाने वाली रामलीला का गुरुवार को शरद पूर्णिमा और महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर शुभारम्भ हुआ। श्री त्रिलोकेश्वरनाथ मंदिर एवं रामलीला समिति के अध्यक्ष रमेश लोधी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन ही इस रामोत्सव का आयोजन शुरू किया जाता है और कार्तिक मास की दशमी को पुतला दहन कर विशाल मेले का आयोजन होता है। उन्होंने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय गिलासी प्रसाद लोधी ने इस कार्यक्रम को शुरू किया था और कई बार ऐसा समय भी आया जब उन्होंने गहने बेच कर रामलीला करवाई। अश्विन महीने में नवरात्रि के समय रामलीला का खर्च बहुत आता है जिसकी वजह से ये कार्यक्रम शरद पूर्णिमा को शुरू किया गया और कार्तिक दशमी को रावणादि के पुतलों का दहन किया जाता है। समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रंजीव ठाकुर ने बताया कि मथुरा से आए आदर्श रामलीला मंडल ने विधिवत गणेश पूजन कर रामलीला का मंचन शुरू किया। गणेश वन्दना तथा राष्ट्रीय गान के पश्चात आदि कवि महर्षि वाल्मीकि का पूजन किया गया। मंडली के व्यास जी सूरज कुमार विश्वास ने रामलीला मंचन से पहले आए हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा का दिन सभी प्रकार के अनुष्ठानों के शुभ होता है और आज के दिन ही भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। महर्षि वाल्मीकि के जीवन पर प्रकाश डालते हुए व्यास जी ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना कर दुनिया को आदर्श जीवन का पाठ पढ़ाया था। इसके बाद नारद मोह, रावण जन्म तथा रावण की तपस्या का मंचन किया गया। रंजीव ठाकुर ने बताया कि शुक्रवार को रामलीला में प्रभु राम के जन्म का मंचन किया जाएगा।

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