गोण्डा ।श्रद्धेय आचार्य मुक्तामणि शास्त्री जी ने बतलाया कि महर्षि वेदव्यास के इस पावन ग्रंथ में सत्य का जो महात्म्य वर्णित है, वो अन्यत्र दुर्लभ है।मध्यकाल में गोस्वामी तुलसीदास जी भी इस बात का समर्थन करते दिखते हैं ।
धरमु न दूसर सत्य समाना।
आगम निगम पुरान बखाना।।
देश,काल और परिस्थितियों के अनुसार भारतीय समाज निरंतर बदलता रहा है।इसके बावजूद भी हमनें अपनी मूलभूत धारणाओं पर कभी आँच नहीं आने दी। इन्हीं धारणाओं में से एक है सत्य के प्रति हमारी अटूट निष्ठा।
हमारी भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले दोनों महान ग्रन्थ – रामायण और महाभारत,”सत्य जीतता ही है” इस विचार को पूरी दुनिया में स्थापित करते हैं।आज समाज में चारों ओर असुरत्व दिखता है, फिर भी सत्य का झंडा बुलंद है। जो दिन भर सड़क पर झूठ बोलता है वो भी आपसे कहता हुआ मिलेगा….झूठ बोलने वाले से मुझे सख़्त नफ़रत है।यही है ‘सत्य’ की प्रतिष्ठा, तभी तो सत्य को शाश्वत माना जाता है।रावण और दुर्योधन हमेशा से हारते रहे हैं और आगे भी हारेंगे।वक़्त लगेगा,कई तरह की प्रतिकूलताएं भी आएंगी पर जीत तो सत्य की ही होगी। कथा श्रवण करने के लिए मुख्य रूप से पधारे विधान सभा अध्यक्ष हेमन्त पाण्डेय जी पवन त्रिपाठी जी विक्की मिश्रा जी रवि शंकर त्रिपाठी जी सोनु त्रिपाठी जी ज्ञान प्रकाश पाण्डेय (मोनू भैया) आनन्द शंकर त्रिपाठी जी जलज दिर्वेदी जी इन्दर पाण्डेय जी आन्नद त्रिपाठी जी संजय त्रिपाठी जी सुनील वर्मा जी अमित त्रिपाठी जी आन्नद पाण्डेय जी और भारी संख्या में ग्रामवासी व क्षेत्रवासी मौजूद रहे।