तरुण जयसवाल
लखनऊ। जेल में अपराधियों के जीवन व्यापन से लेकर उनसे मिलने आये लोगो का समय निश्चित रूप से तय है, और जेल की लंबी दीवारों पर हतीयरो से लैस सिपाही चैकन्ने खड़े रहते है। जिनकी नजर से बच कर परिंदा भी नही जा सकता बीते दिनों हुई वारदात जिसमे जेल में कैद मुज़रिम बजरंगी की जेल के अंदर ही गोली मार कर हत्या के दी गयी थी। जेल के तमाम सुरक्षा इन्तेज़ामो के बाद भी असलहे, मोबाइल तो कभी नशे के पदार्थ कैसे पहुचता है? गलती किसकी है व सुधार कैसे किया जा सकता है। इस पर काम शुरु हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश अनुसार बीते साल 31 दिसंबर 2018 को अपनी ड्यूटी से सन्यास लेने वाले डी.जी.पी सुलखान सिंह जिन्हें सितंबर 2018 में तीन महीने का सेवा विस्तार मिला था। मुन्ना बजरंगी की जेल में हत्या हो जाने के बाद देश की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे है, एसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व पुलिस प्रमुख (डी.जी.पी) सुलखान सिंह की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय टीम बनाई है। जिसकी बैठक शुक्रवार को जेल मुख्यालय में हुई थी। बैठक के दौरान उन्होंने एडीजी जेल को अपनी 3 सदस्यीय टीम की जरूरतें बताई और यह भी बताया कि उनकी यह 3 सदस्यीय टीम शनिवार को जेल का दौरा भी करेगी साथ ही अन्य जगहों की जेलों में भी जायंगे सोमवार को मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी। मुन्ना बजरंगी की पत्नी पहले ही उसकी हत्या की आशंका जता चुकी थी। इससे पहले झांसी जेल में भी मुन्ना पर हमला हुआ था।
प्रधान सचिव(गृह) अरविंद कुमार ने कहा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कारागारों की मौजूदा प्रणाली को दुरुस्त करने और उसमें सुधार करने के लिए 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति दो महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। समिति का नेतृत्व उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह करेंगे। अन्य दो सदस्यों में पूर्व अवर डीजी (कारागार) हरिशंकर और अवर महानिरीक्षक (कारागार) शरद शामिल होंगे।
इन जेलों में जाएगी टीम
बैठक के दौरान उन्होंने एडीजी जेल को अपनी टीम की जरूरतें बताईं। यह टीम शनिवार को लखनऊ जेल का दौरा करेगी। इसके बाद बागपत समेत उन तमाम जेलों में भी यह टीम जाएगी, जहां बड़े माफिया और अपराधी बंद हैं।
जेल की व्यवस्थाओं पर होगा काम
सुलखान सिंह ने बताया कि जेल में आदमी और सामान जाने का रूट प्लान, उनकी चेकिंग और निगरानी की क्या व्यवस्था है, इस पर मुख्य रूप समिति काम करेगी। कमिटी यह देखेगी कि पूरा सिस्टम गड़बड़ है या बीच की कड़ियां। कमिटी मीडिया, जेल अधिकारियों, जिलों के डीएम-एसपी और बंदियों से भी बात करेगी।
एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने बताया कि टीम को जेल मुख्यालय की तरफ से तीन लोग दिए गए हैं। पूर्व एडीजी कारागार हरिशंकर समिति के सदस्य और एडीजी कारागार डॉ. शरद कमिटी के सदस्य सचिव नियुक्त किये गए हैं।