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प्राधिकरण में ब्लाकचेन टैक्नोलाॅजी का प्रयोग कर सिस्टम को बनाया जायेगा फुलप्रूफ

अवैध निर्माण रोकने के लिए बनाई गई कार्य योजना
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी द्वारा प्राधिकरण की सम्पत्तियों एवं अन्य महत्वपूर्ण अभिलेखों में हेर-फेर की सम्भावना समाप्त करने के उद्देश्य से ब्लाकचेन टैक्नोलाॅजी का प्रयोग किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इस सम्बन्ध में आज उनके द्वारा आई.आई.टी. के विशेषज्ञ सर्व श्री मनेन्द्र अग्रवाल, डिप्टी डायरेक्टर आई.आई.टी. कानपुर तथा उनकी टीम के साथ बैठक की गई। उन्होंने बैठक में विगत कुछ महीनों से वर्तमान में प्राधिकरण के चलित साॅफ्टवेयर से रजिस्ट्री/आवंटन तथा नामान्तरण में छेड़-छाड़ को तकनीकी के माध्यम से रोके जाने तथा साॅफ्टवेयर में सिक्योरिटी से सम्बन्धित कमियों के निराकरण हेतु कार्य योजना बनाये जाने के निर्देश दिये। साथ ही प्रस्तावित ई.आर.पी. साॅल्यूशन के सभी माड्यूलों में इस टैक्नोलाॅजी का प्रयोग कर सिस्टम को फुलप्रूफ बनाने के लिए शीघ्र कार्य योज ना बनाये जाने के निर्देश दिये गये। बैठक में प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी अमित राठौर एवं देवांश त्रिवेदी तथा प्रोग्रामर एनालिस्ट राघवेन्द्र मिश्रा उपस्थित रहे।लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी द्वारा आज प्रवर्तन विभाग से सम्बन्धित विहित प्राधिकारियों तथा अधिशासी अभियन्ताओं के साथ समीक्षा बैठक की गई। बैठक में उन्होंने अवैध निर्माणों को रोकने के सम्बन्ध में की जा कार्यवाही को और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिये। वहीं उनके द्वारा समस्त अधिशासी अभियन्ताओं को सीलिंग तथा ध्वस्तीकरण की जानकारी देने के सम्बन्ध में फार्मेट दिया गया। इस फार्मेट पर सभी सूचनाऐं अगली बैठक में विहित प्राधिकारी और अधिशासी अभियन्ता के संयुक्त हस्ताक्षर से प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये। उन्होंने प्रवर्तन से सम्बन्धित एक विभागीय वाट्सअप गु्रप बनाने के निर्देश दिये। इस ग्रुप पर प्रवर्तन की कार्यवाही से सम्बन्धित सूचनाऐं तथा आदेशों को नियमित रूप से पोस्ट करने के लिए कहा गया। उपाध्यक्ष ने बैठक में कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी के यहाँ से शहर में लगभग 1900 नर्सिंग होम/हाॅस्पिटल पंजीकृत हैं। बैठक के दौरान उन्होंने आधिकारियों को इसकी सूची उपलब्ध कराने के साथ निर्देशित किया कि इन सभी नर्सिंग होम, हाॅस्पिटल व क्लीनिकों का सर्वे करके यह सुनिश्चित कराये कि स्वीकृत मानचित्र के अनुसार ही मौके पर निर्माण हुआ है अथवा नहीं। साथ ही यह भी देखे कि इनमें नियमानुसार पार्किंग की जगह छोड़ी गई है अथवा नहीं। इसके अलावा ऐसी कामर्सियल बिल्डिंगें जिसके नक्शे में पार्किंग दिखाई गई किन्तु मौके पर उसका उपयोग हाॅल या अन्य रूप में किया जा रहा है, उनके खिलाफ नियमित रूप से कार्यवाही करते हुए उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने सीलिंग के लिए तैयार कराये जा रहे साॅफ्टवेयर की भी समीक्षा की। उन्होंने सभी बिन्दुओं को स्पष्ट करते हुए निर्देश दिये कि सचिव की निगरानी में इस साॅफ्टवेयर को फाइनल करके अगली बैठक में रखा जाये, ताकि इसके मुताबिक अवर अभियन्ताओं को इसका प्रशिक्षण दिलाया जा सके।

 

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