सीलिंग व कारण बताओ नोटिस देकर हो रही बिल्डरों से बसूली
संवाददाता
लखनऊ। हाई कोर्ट के आदेश और शासन के कड़े निर्देशें के बाद भी राजधानी लखनऊ में अवैध निर्माणों सिलसिला लागंतार जारी हैं। हाई कोर्ट व शासन के आदेशें व निर्देशों को ताख पर रखकर बिना मानकों को पूरा किये लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों व सुपरवाईजरो की मिली भगत से इन अवैध निर्माणो को बढ़ावा मिल रहा हैं। यहां पर गौर करने की बात ये है कि क्या शुरूआत मे जब शहर के मैन रोड पर अवैध निर्माण शुरू होता है तब उस क्षेत्र का जे0ई तथा सुपरवाईजर क्या कर रहा होता है कि उसे ये अवैध निर्माण दिखयी नहीं देता है या वह जानबूझकर अपनी आंखें बंद कर लेता है। इसका मतलब या तो वह किसी लालच में जानबूझकर आंखें बंद कर लेता हैं या वह अपने दायित्व को न निभाकर र्कतव्य के प्रति वेवफाई करके सरकार व देश के साथ गददारी कर रहा है दोनों ही पतिस्थितियों में अपराधी है। सूत्रो से पता चला है कि पहले अवैध निर्माण निर्माण शुरू होने पर अधिकारियों द्वारा एक मोटी रकम लेकर आखें बंद कर ली जाती हैं यहां तक कि प्रति एक तल की छत सिलिप पर सुविधा शुल्क लिया जाता है। जब अवैध निर्माण पूरा होने वाला होता हैं तभी बीच में किसी भी माध्यम जैसे शिकायत आदि का बहाना लेकर बिल्डर को निर्माण रोकने के लिए नोटिस देकर और साईट सील करने की धमकी देकर अधिक शुविधा शुल्क बढ़ाने का दबाब बनाया जाता हैं। सूत्रो से एक आश्चर्य जनक जानकारी सामने आयी है कि गत माह से राजधानी में जो भी सीलिंग हुई है उनमें से कुछ ही सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की गयाी है बाकी शेष अवैध निर्माण जो सील किये गये थे उनका क्या हुआ , क्या वो किसी दबाव मे प्रकाशित नहीे की गयी या कारण कुछ और है। मजे की बात तो ये है कि भवन सील हाने के बावजूद अवैध निर्माण बराबर जारी रहता है । ऐसा ही प्रकरण तहसीनगंज ठाकुरगंज का है जिसको सील किया गया था ,बराबर चोरी छुपे निर्माण जारी है। अब यह निर्माण अधिकारीयों की मिलीभगत से हो रहा है या बास्तव चोरी छुपे यदि चोरी छुपे हो रहा है तो संबधित सुपरवाईजर और जे0 ई0 क्या कर रहे है। इस विषय मे जब संबंधित अधिकारी राधेश्यामजी से जानकारी लेने पर उन्होने बताया कि ज्वाइंट सेक्रेटेरी के दबाब मे सील तोड़ दी गयी है। अब यह काहां तक सच है वो तो ज्वाइंट सेक्रेटेरी का वर्जन लेने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन ये तो स्पष्ट है कि राजनैतिक दबाब,शासन व संबधित अधिकारी राजधानी में हो रहे अवैध निर्माणों के लिये भी जिम्मेदार है। दूसरा एक प्रकरण बालागंज हरदोई रोड का है। एक ऐसा ही अवैध निर्माण बालागंज हरदोई रोड 439/159/1 के बगल में है जो 13 अक्टूबर 2017 को नोटिस देकर रोक दिया गया था जिस पर जारी दिनांक 5 अक्टूबर 2017 अंकित है। परन्तु मिली भगत से यह भी निर्माण जारी है। सूत्रों से पता चला है कि यहां से भी एक बड़ी रकम बसूली गयी है। उक्त प्रकरण से प्रतीत हो रहा है कि सीलिंग व कार्य बंद करने कीे नोटिस बाजी अधिकारियों के किसी बड़ी संजिश का इशारा है। इस प्रकार के सैकड़ों अवैध निर्माण इस क्षेत्र में है अब देखना यह है कि इस प्रकरण मे लखनऊ विकास प्राधिकरण क्या कार्यवाही करता है।