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कुलपति सम्मलेन में नहीं तय हो पाया छात्रसंघ चुनाव का मामला 

सरकार विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर अतिशीघ्र तैनाती करे : राज्यपाल 
अध्यापकों को अन्य कार्य न देकर प्रसन्न मन से शिक्षण करने दिया जाए : दिनेश शर्मा
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक की अध्यक्षता में गुरुवार को योजना भवन में प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा सहित पशुधन, लघु सिंचाई, मत्स्य मंत्री एस0पी0 सिंह बघेल, बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा संजय अग्रवाल, राज्यपाल की प्रमुख सचिव जूथिका पाटणकर, कृषि शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा के विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे। कुलपति सम्मेलन में केन्द्रीय एवं सम-विश्वविद्यालय के कुलपतियों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त किया कि गत तीन वर्षों में पहली बार उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मंत्रियों के साथ कुलपतियों की बैठक हो रही है। कुलाधिपति के रूप में तीन वर्ष पूरे हो रहे है। प्रदेश में नयी सरकार के गठन के बाद कुलपति सम्मेलन में सभी संबंधित मंत्रालय एवं विभागों के साथ बैठक उच्च शिक्षा में सुधार के प्रति प्रतिबद्धता प्रकट करती है। उन्होंने कहा कि यह शुभ संकेत है। उन्होंने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि गत तीन वर्षों के प्रयास के बाद उच्च शिक्षा की गाड़ी धीरे-धीर पटरी पर आ रही है। सभी दीक्षान्त समारोह भारतीय परिधान के साथ समय पर सम्पन्न हुये।
राज्यपाल ने उदघाटन सत्र में कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर यथाशीघ्र तैनाती करें। विश्वविद्यालय में कुलसचिव, वित्त नियंत्रक, परीक्षा नियंत्रक, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिव के पद काफी संख्या में रिक्त हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय के प्रशासनिक विधिक, वित्तीय एवं परीक्षा से संबंधित कार्य बाधित हो रहे हैं। प्रदेश के 5 नवगठित विश्वविद्यालयों में प्रथम परिनियमावली अद्यतन प्रख्यापित नहीं हुई है। विश्वविद्यालयों के सुगम संचालन के लिये उत्तर प्रदेश शासन के संबंधित विभाग प्रथम परिनियमावली प्रख्यापित करायें। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 7 राज्य विश्वविद्यालयों की परिनियमावली को अनुमोदन अभी प्राप्त नहीं हुआ है। नाईक ने कहा कि विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्ववित्तपोषित योजना के तहत उन्हीं पाठ्यक्रमों को संचालित किया जाये जिनकी ग्राह्यता हो तथा स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों में नियुक्त शिक्षकों की सेवा शर्तों को विश्वविद्यालय सेवा अधिनियम एवं परिनियमों में समाहित किया जाये। उन्होंने कहा कि शासन द्वारा स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों से संबंधित विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। शासन द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में संशोधन हेतु एक समिति का गठन किया गया है, जो शीघ्र ही विभिन्न पहलुओं की समीक्षा कर संशोधित अधिनियम का प्रस्ताव राज्य सरकार को अग्रिम कार्यवाही हेतु प्रस्तुत करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि छात्रसंघ चुनाव कराये जाने के सन्दर्भ में विश्वविद्यालय अपेक्षित कार्यवाही सुनिश्चित करें।
राज्यपाल ने अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कई विश्वविद्यालयों द्वारा राजभवन से मांगी गई आख्याओं पर अनेक अनुस्मरण पत्र भेजने के बाद भी आख्या समय पर उपलब्ध नहीं कराई जाती है। कुलाधिपति कार्यालय से सन्दर्भित प्रकरणों के निस्तारण हेतु विश्वविद्यालय द्वारा नोडल आफीसर नामित किया जाये जिससे प्रत्यावेदनों का उचित माध्यम से प्रेषण सुनिश्चित हो। नये पाठ्यक्रम प्रारम्भ करने से पूर्व सक्षम स्तर पर अनुमति प्राप्त कर परिनियमों में सम्मिलित करने के बाद ही संचालित किये जायें। उन्होंने कहा कि नये पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के स्थापित उद्देश्यों के अनुरूप हों तथा सक्षम स्तर से अनुमोदित हों ताकि भविष्य में किसी प्रकार की विधिक कठिनाई उत्पन्न न हो।
नाईक ने कहा कि वर्तमान वर्ष पं0 दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी के रूप में मनाया जा रहा है। कुलपतिगण अपने स्तर से पं0 दीनदयाल उपाध्याय चेयर्स (पीठ) स्थापित करने का निर्णय कर सकते हैं। इसी क्रम में उन्होंने बताया कि मानव संसाधान एवं विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा रक्षा मंत्रालय के ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित सैन्य वीरों के सम्मान में विद्या वीरता अभियान प्रारम्भ किया गया है जिसके तहत विश्वविद्यालय परिसर में उनके छायाचित्र लगाया जाना है जिसके सन्दर्भ में साहित्य एवं सी0डी0 शीघ्र उपलब्ध करायी जायेगी।
उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने कुलपति सम्मेलन में चर्चा के बाद संकल्प बिन्दु की जानकारी देते हुये बताया कि साल में 220 दिन शिक्षण कार्य अवश्य होना चाहिए। उत्तर पुस्तिका के पुनर्मूल्याकंन को लेकर पारदर्शी नीति अपनाये जाने की आवश्यकता है। नकल पर प्रभावी रोक लगाने के लिये परीक्षा कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगवाये जायें। छात्राओं की सुविधा को देखते हुए परीक्षा केन्द्र प्रणाली में बदलाव के विकल्प पर विचार करें। विश्वविद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हो तथा ई-यूनिवर्सिटी पोर्टल एवं शिक्षकों का केन्द्रीय डाटा तैयार किया जाये। उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा गठित आई0टी0 कमेटी के अन्तर्गत ई-क्लास, ई-लाईब्रेरी की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाये।
डा0 दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिये सभी विश्वविद्यालयों द्वारा 15 अगस्त, 2017 के पूर्व समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किये जायेंगे। सम्बद्धता आॅनलाइन निर्गत किये जाने की प्रक्रिया निर्धारित की जाये। विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के लिये क्षेत्रीय भाषा एवं विदेशी भाषा का अध्ययन करने की व्यवस्था प्रारम्भ की जायेगी। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालय पं0 दीनदयाल जन्मशती समारोह के साथ ही जीएसटी पर भी संगोष्ठी आयोजित करें।
सम्मेलन में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, राम मनोहन लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद के कुलपति प्रो0 मनोज कुमार दीक्षित ने प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो0 जे0वी0 वैशम्पायन ने परीक्षा सुधार, डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनय पाठक ने विश्वविद्यालय में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं विशिष्ट विद्यालयों का उन्नयन तथा महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति प्रो0 पृथ्वीश नाग ने अवस्थापना सुधार एवं उच्च शिक्षा उत्कृष्टता की ओर विषय पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यक्रम में संजय अग्रवाल प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा ने स्वागत उद्बोधन देने के साथ कुलपति सम्मेलन में पारित संकल्पों का विवरण भी प्रस्तुत किया।

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