लखनऊ | लोकसभा आम चुनाव के नतीजों के बाद हुए उपुचनावों में सबसे बड़ा झटका बसपा को लगा है। पार्टी की स्थापित नीति बदलकर उपचुनाव की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा 11 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। पार्टी के कब्जे वाली सीट वह पुराने गठबंधन की सहयोगी सपा के हाथों हार गई। बसपा केवल दो स्थान पर नंबर दो पर रही। वह छह सीटों पर मुख्य तीन प्रत्याशियों की लड़ाई में शामिल नहीं है। बसपा ने लोकसभा आम चुनाव में गठबंधन की सहयोगी सपा से अधिक सीटें पाने के बावजूद अपेक्षित सीटें न मिलने का ठीकरा सपा पर फोड़ा था। साथ ही एकतरफा गठबंधन तोड़ने का एलान करते हुए उपचुनाव न लड़ने की नीति को पलटकर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था। पार्टी ने काडर के प्रत्याशियों को तवज्जो दिया, लेकिन उसकी एकला चलो की रणनीति गलत साबित हो गई। बसपा अपने कब्जे वाली अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट तक नहीं बचा सकी। यह सीट बसपा के विधायक रितेश पांडेय के इस्तीफे से खाली हुई थी। पार्टी ने यहां से बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा की बेटी डॉ. छाया वर्मा को प्रत्याशी बनाया था। लालजी का वहां अच्छा प्रभाव माना जाता है। अच्छी लड़ाई के बावजूद छाया चुनाव नहीं जीत सकीं। 11 सीटों में दूसरी सीट इगलास थी, जहां बसपा नंबर दो पर रही। बसपा चित्रकूट की मानिकपुर, बहराइच की बलहा व मऊ की घोसी सीट पर नंबर-3 तथा बाराबंकी की जैदपुर, सहारनपुर की गंगोह, रामपुर की रामपुर, लखनऊ की लखनऊ कैंट व कानपुर की गोविंदनगर सीट पर नंबर चार पर चली गई। प्रतापगढ़ सीट पर बसपा की सबसे खराब स्थिति सामने आई। यहां का प्रत्याशी पांचवे स्थान पर रहा। नतीजों से साफ है कि बसपा का लोकसभा आम चुनाव बाद गठबंधन तोड़कर चुनाव लड़ने का फैसला गलत साबित हुआ।
Home > स्थानीय समाचार > गठबंधन टूटने के बाद उपचुनाव में बसपा को सबसे बड़ा झटका, खाली हुई सीट भी गंवाई