लखनऊ | प्रदेश सरकार ने लाभार्थीपरक योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों को ढूंढने का अभियान शुरू करने का फैसला किया है। 31 दिसंबर तक आधार नंबर के जरिए ऐसे लोगों को चिह्नित कर हटाया जाएगा। नियोजन विभाग को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश में पेंशन, प्रधानमंत्री आवास, शौचालय व छात्रवृत्ति जैसी कई लाभार्थीपरक योजनाएं चल रही हैं। लेकिन, सरकार को लगातार शिकायत मिल रही है कि अब भी तमाम फर्जी लाभार्थी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। इससे सरकार के खजाने को नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने फर्जी लाभार्थियों को ढूढने के लिए सभी लाभार्थीपरक योजनाओं के समस्त लाभार्थियों का आधार नंबर फीड कर सत्यापन कराने का निर्देश दे दिया है। यह काम 31 दिसंबर तक पूरा करना है। इस बीच डुप्लीकेट चिह्नित लाभार्थियों को योजना से हटाने और प्रत्येक परिवार को मिल रही समस्त लाभार्थीपरक योजनाओं की सूची तैयार की जाएगी। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल ने इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं। इस काम के लिए नियोजन विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है। नियोजन विभाग लाभार्थीपरक योजनाओं से जुड़े विभागों से समन्वय कर यह काम तय समयसीमा में पूरा कराएगा। प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिए वृद्धों, परित्यक्ता, तलाकशुदा व विधवा महिलाओं व दिव्यांगों आदि को अलग-अलग नाम से अलग-अलग विभागों के जरिए पेंशन देती है। सरकार के संज्ञान में आया है कि विभिन्न योजनाओं से लाभ पाने वाले तमाम पेंशनरों का वार्षिक व द्विवार्षिक भौतिक सत्यापन ठीक से नहीं हो रहा है। इससे कई बार मृतक पेंशनरों के खाते में राशि भेजी जाती है, जो बैंक में पड़ी रह जाती है। सुझाव आया है कि इस काम को ई-पॉस मशीन के जरिए सुगमतापूर्वक कराया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में उचित प्रस्ताव तैयार करने के लिए मुख्य सचिव आरके तिवारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में लाभार्थीपरक योजनाओं के अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव/ सचिव के अतिरिक्त अपर मुख्य सचिव वित्त बतौर सदस्य शामिल हैं। यह कमेटी उचित प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष रखेगी।
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