Home > स्थानीय समाचार > गर्भवती ले भोजन पौष्टिक, माँ बच्चा रहेंगे स्वस्थ

गर्भवती ले भोजन पौष्टिक, माँ बच्चा रहेंगे स्वस्थ

लखनऊ। माँ बनना एक सुखद अनुभव होता है | महिला को गर्भावस्था के दौरान खान पान पर ध्यान देने की बहुत आवश्यकता होती है क्यूंकि अगर महिला स्वस्थ रहेगी तभी गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ होगा | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, काकोरी की सुप्रीटेंडेंट डॉ ज्योति कामले ने बताया कि पौष्टिक भोजन तो सभी महिलाओं के लिए आवश्यक होता है किन्तु गर्भवती व धात्री महिलाओं के लिए इसका सेवन इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्यूंकि इससे माँ और गर्भ में पल रहा बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहते हैं, भ्रूण का सही शारीरिक और दिमागी विकास होता है तथा प्रसव के दौरान और उसके बाद मृत्यु के जोखिम में कमी आती है |
डॉ. कामले ने बताया कि सर्वप्रथम महिला को गर्भावस्था का पता चलते ही टिटनेस का पहला टीका लगवाना चाहिए तथा एक माह के बाद टिटनेस का दूसरा टीका लगवाना चाहिए | महिला को गर्भावस्था के चौथे माह की शुरुआत से आयरन की एक गोली प्रतिदिन सादे पानी या नींबू पानी के साथ रात को सोते समय खानी चाहिए | आयरन की गोलियों का नियमित सेवन करने से गर्भावस्था में खून की कमी तथा अन्य जटिलताओं की संभावना कम हो जाती है | चौथे माह से प्रसव होने तक आयरन की कुल 180 गोलियां खानी चाहिए | इन गोलियों को दूध के साथ व कैल्शियम के साथ नहीं लेना चाहिए | आयरन की गोली खाने के 1 घंटा पहले या बाद में चाय/काफी नहीं पीनी चाहिए | दूसरी तिमाही में पेट के कीड़े मारने की दवा (अल्बेण्डाज़ोल) अवश्य लेनी चाहिए | इसके साथ ही साथ गर्भावस्था के चौथे माह की शुरुआत से प्रसव तक कैल्शियम की 2 गोलियां प्रतिदिन खानी चाहिए | कैल्शियम की गोलियों का सेवन करने से गर्भावस्था व प्रसव के दौरान प्री एक्लेम्पसिया ( रक्तचाप बढ़ना, आँखों में धुंधलापन या दौरे पड़ना आदि) जैसी जटिलताएँ कम होती हैं | कैल्शियम की पहली गोली सुबह नाश्ते के बाद और दूसरी गोली दोपहर के भोजन के साथ खानी चाहिए | प्रसव के बाद बच्चे के 6 माह होने तक आयरन की 1 गोली व कैल्शियम की 2 गोलियों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए |
पोषण परामर्शदाता रूपाली ने बताया कि गर्भवती महिला को अपने खाने में 5 प्रकार के भोजन का सेवन जरूर करना चाहिए जिसमें प्रोटीन ( दालें तथा अन्य पदार्थ), दूध व दूध से बने पदार्थ, मौसमी /गहरी हरी पत्तेदार सब्जी व साग ( विटामिन व खनिज पदार्थ, अंडा /मांसाहार(प्रोटीन), पीले/नारंगी गूदे वाले फल व सब्जियाँ (विटामिन ए) होनी चाहिए | जो महिलाएं मीट व अंडा नहीं खाती हैं वे अपने खाने में दाल, चने का सत्तू, सोयाबीन व दूध की मात्रा बढ़ा सकती हैं | इसके साथ ही साथ आंवले का सेवन भी करना चाहिए क्यूंकि इसमें आयरन व विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है | गर्भावस्था की प्रथम तिमाही में महिला को फॉलिक एसिड के साथ विटामिन बी कॉम्प्लेक्स का सेवन करना चाहिए | इसके सेवन से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी में जन्मजात विकृतियों से बचा जा सकता है और महिला भी स्वस्थ रहती है |
डॉ. कामले ने कहा कि गर्भवती महिला को आवश्यकतानुसार भोजन की मात्रा बढ़ानी चाहिए | पहली तिमाही में प्रतिदिन कम से कम दो बार पूरा भोजन करें | दूसरी तिमाही में प्रतिदिन कम से कम 3 बार पूरा भोजन करना चाहिए | तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 3 बार भोजन के साथ 2 बार पौष्टिक नाश्ता करना चाहिए जबकि धात्री महिला को प्रतिदिन 3 बार भोजन के साथ 3 बार पौष्टिक नाश्ता करना चाहिए | महिला का हीमोग्लोबिन कम से कम 10 होना चाहिए | कुल 10-12 किलो वजन बढ़ना चाहिए| महिला को दिन में कम से कम 10-12 घंटे आराम करना चाहिए | आराम करते समय बाईं करवट लेनी चाहिए ताकि भ्रूण में रक्त का संचार सही से हो | महिला को नियमित रूप से वजन कराना चाहिए और मातृ एवं शिशु सुरक्षा कार्ड पर लिखवाना चाहिए |
इसके अलावा सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए | खाना बनाने से पहले, खाने से पहले व शौच के बाद साबुन से हाथ धोना चाहिए | बिना चप्पल के जमीन पर नहीं चलना चाहिए | पीने के पानी को ढक कर रखना चाहिए | फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही प्रयोग करना चाहिए | खुले में शौच नहीं जाना चाहिए, शौचालय का प्रयोग करना चाहिए |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *