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सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा स्टेकहोल्डर वार्ता का आयोजन

इनसाइट-2018: सुगंध उद्योग के सतत भविष्य के लिए सीएसआईआर- भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर)में आयोजित सीएसआईआर-उद्योग कार्य योजना 

लखनऊA मानव इतिहास के प्रारम्भ से ही इत्र और सुगंध का उपयोग किया जाता रहा है और इसका  वर्णन ऐतिहासिक साहित्य में उपलब्ध है। “इंडिया फ्लेवर एंड फ्रेगरेंस इंडस्ट्री आउटलुक टु 2020”  रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत के सुगंध के बाजार में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। इस दिशा में हुई तकनीकी प्रगति, व्यक्तिगत सौंदर्य के प्रति बढ़ते महत्व और स्वस्थ उत्पादों पर उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वैश्विक नेतृत्व प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि सुगंध उद्योग इस बढ़ते बाजार की चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को तैयार करे। इसके साथ ही यह आवश्यक है कि सुगंधों के मानकीकरण और वैज्ञानिक रूप से मान्य सुरक्षा डेटा भी उपलब्ध किया जाए। इस दिशा में  उद्योग-शिक्षाविदों की साझेदारी के साथ एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में तेजी लाएगा। सीएसआईआर-आईआईटीआर ने 15 फरवरी, 2018 को अपने परिसर में एक स्टेकहोल्डर वार्ता का आयोजन किया, जिसमें सुगंध उद्योग, संघ के नेताओं और नियामकों के प्रतिनिधियों के साथ उपरोक्त मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और सुगंध उद्योगों के टिकाऊ भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।

अपने उद्घाटन भाषण में सीएसआईआर-आईआईटीआर के निदेशक प्रोफेसर आलोक धावन ने कहा कि यही उचित समय है कि उद्योग से संबन्धित लोग और शिक्षाविद एक दूसरे के साथ बैठकर विचार करें और इस उद्योग को मजबूत करने, सभी हिस्सेदारों के लिए टिकाऊ भविष्य हेतु एक साथ काम करने के लिए रणनीति सुनिश्चित करें।

सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) के निदेशक डॉ॰ अनिल के त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षाविदों और उद्योग के बीच आपसी सहयोग केवल संवाद के द्वारा ही संभव है। व्यापार और उद्योग के निष्पक्ष प्रथाओं के माध्यम से किसानों का सशक्तिकरण सभी के लिए न्यायसंगत और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करेगा।

अमरीका के रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर फ्रेग्रेन्स मैटेरियल्स (आरआईएफएम) के अध्यक्ष डॉ॰ जेम्स सी रोमाइन ने कहा कि सुगंध सार्वभौम है और इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करना वैश्विक आवश्यकता है। आरआईएफएम का गठन आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सुगंध सामग्री पर शोध करने के उद्देश्य से 1966 में किया गया था।

स्विट्जरलैंड के इंटरनेशनल फ्रेग्रेन्स एसोसिएशन (आईएफआरए) के अध्यक्ष, मार्टिना बियांची, ने कहा कि उनकी संस्था सदा से ही इस बढ़ते उद्योग में उचित अवसरों की तलाश में है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जागरूकता इस उद्योग के सभी प्रकार के विकास को सुनिश्चित करने के लिए बेहतर निर्णय लेने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

आईएफआरए और आरआईएफएम के अध्यक्ष श्री माइकल कार्लोस ने सीएसआईआर-सीमैप द्वारा परफ्यूम और आवश्यक तेलों के क्षेत्रों में किए गए कार्य और सीआईएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा एक मंच पर सभी हितधारकों को एक साथ लाने के लिए किए गए प्रयासों को सराहा और कहा कि इससे इस उद्योग का विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

श्री संत संगनेरिया, संस्थापक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, अल्ट्रा इंटरनेशनल लिमिटेड, नई दिल्ली (इस बैठक के उद्योग भागीदार) ने प्रतिभागियों का ध्यान वैश्विक सुगंध बाजार की विशाल क्षमता की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक गुणवत्ता मानकों की आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में भारतीय सुगंध उद्योग के लिए यह एक शानदार अवसर है जिससे अभिनव उत्पाद विकास के माध्यम से इसका समुचित लाभ उठाया जा सके।

वैज्ञानिक सत्रों के दौरान डॉ॰ शेखर मित्रा, अध्यक्ष, इनोप्रिनयोर एलएलसी, कंसल्टिंग पार्टनर, यूरेनकोर, एफएमआर, एसवीपी, ग्लोबल इनोवेशन एट प्रॉक्टर एंड गैंबल, सिनसिनाटी, ओहियो, यू.एस.ए; श्री॰ शक्ति विनय शुक्ला, निदेशक, सुगंध और स्वाद विकास केंद्र, कन्नौज; डॉ यू एस पी यादव, भारतीय मानक ब्यूरो, भारत; डॉ विजय बाम्बुल, सलाहकार, जॉनसन एंड जॉनसन, मुंबई; डॉ॰ ऐनी मैरी एपीआई, उपाध्यक्ष, रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर फ्रेग्रेन्स मैटेरियल्स (आरआईएफएम); श्री राहुल पराखिया, टोक्सिकोलोजिस्ट, आरआईएफएम और श्री आतिश पटेल, आरआईएफएम द्वारा महत्वपूर्ण प्रस्तुतीकरण दिये गए।

वैज्ञानिक सत्रों के बाद विशेषज्ञों द्वारा भविष्य की योजना तैयार करने के लिए एक पैनल चर्चा की सम्पन्न की गई।

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