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बेसिक शिक्षा विभाग लखनऊ का कफ़न बिकता है, बोलों खरीदोगें ?

पॉच सालों से स्वयं घोषित जर्जर भवन में चला रहे है कक्षाएं
लखनऊ । वर्तमान योगी सरकार ने आते ही सड़कों को गड्ढों से मुक्त करने के लिये बरसात से पहले का समय निश्चित कर दिया है जिससे कि प्रदेश में आवागमन निर्बाध चल सके और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सके । परंतु सीएम योगी और उनकीं सरकार उन जर्जर सरकारी स्कूलों के बारे में विचार न कर सकी है और न कर रही है जिसमें पढ़ने वाले बच्चों और अध्यापकों की जान माल का खतरा लगातार बना हुआ है। बेसिक शिक्षा विभाग ऐसे जर्जर भवनों में मुफ्त कफन बांट रहा है और बड़ी दुर्घटना होने पर मुफ्त मुआवज़ा भी बांटेगा ।
उत्तर प्रदेश की राजधानी में ही बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा एक ऐसे प्राथमिक विद्यालय को संचालित किया जा रहा है जिसे पॉच साल पहले जर्जर घोषित करके तत्काल प्रभाव से कक्षाएं लगाने के लिये निषिद्ध कर दिया गया था । आलमबाग क्षेत्र में बड़ा बरहा, शांति नगर स्थित प्राथमिक विद्यालय इतने जर्जर भवन में चल रहा है जिसकों वर्ष 2012 में स्वयं बेसिक शिक्षा विभाग ने जर्जर भवन घोषित करते हुए पास में चल रहे सामुदायिक केन्द्र में बेसिक शिक्षा द्वारा संचालित प्रेमवती नगर विद्यालय में समायोजित कर दिया था । वर्ष 2012 में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा 13 जर्जर भवनों वाले प्राथमिक विद्यालयों को समायोजित किया गया था जिसमें 12 विद्यालय तो दूसरे भवनों में चले गये पर शांति नगर विद्यालय उसी जर्जर भवन में नाम बदल कर चलने लगा । हुआ कुछ यूं कि शांति नगर विद्यालय के जर्जर भवन को सामुदायिक केन्द्र में चल रहे प्रेमवती नगर विद्यालय में समायोजित कर दिया गया और प्रेमवती नगर विद्यालय में तीन अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनवाने के लिये बेसिक शिक्षा विभाग ने लगभग 9.40 लाख रुपये जारी कर दिये । लिखत पढ़त में शांति नगर का प्राथमिक विद्यालय प्रेमवती नगर विद्यालय के नाम से जाना जाने लगा । बेसिक शिक्षा विभाग के बहुचर्चित शिक्षक सतीश द्वीवेदी ने अन्य स्कूलों और चारदिवारियों की तरह ही प्रेमवती नगर विद्यालय बनाने का जिम्मा ले लिया और अन्य स्कूलों व चारदिवारियों की तरह जारी हुआ 9.40 लाख रुपये भी सतीश द्वीवेदी की खाली जेब में ऐसे समा गये जिसे बेसिक शिक्षा विभाग पॉच सालों से ढ़ूंढ ही रहा है । लिहाजा प्रेमवती नगर विद्यालय में तीन अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनवाने का सपना बेसिक शिक्षा विभाग की आंखों में ही रह गया क्योकिं सतीश द्वीवेदी ने सामुदायिक केन्द्र को भी गिरवा कर उस भवन के ईटे व सरिये आदि बेच दिये । सतीश द्वीवेदी की हनक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बेसिक शिक्षा विभाग तीन सालों तक सतीश द्वीवेदी पर कोई कार्यवाही तक न कर सका जबकि सतीश पर बहुत सारे स्कूलों और चारदिवारियों को बेच खाने से ज्यादा शिक्षा मित्रों के उत्पीडन के हजारों मामले चल रहे थे । अन्य मामलों से सीख लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रेमवती नगर विद्यालय मामले में भी सतीश द्वीवेदी के आगे हथियार डालते हुए अपने ही दिये आदेश से किनारा कसते हुए प्रेमवती नगर विद्यालय को वापस शांति नगर स्थित जर्जर भवन में चलाना शुरू कर दिया । एडी बेसिक महेन्द्र सिंह राणा तथा बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणी त्रिपाठी की विवशता का ये आलम यहॉ तक पहुंच गया कि जिस जर्जर भवन में जान माल के नुकसान के डर से तत्काल प्रभाव से कक्षाएं नहीं चलाने का आदेश दिया गया था उसी जर्जर भवन में सतीश द्वीवेदी के डर से विद्यालय चलने लगा । वर्ष 2012 से 2017 के बीच अनेकों बार बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सेक्टर मैजिस्ट्रेट और पीडब्यूडी इंजीनियर के साथ शांति नगर स्थित जर्जर भवन का दौरा किया पर प्रेमवती नगर विद्यालय को पास में ही चल रहे अन्य सरकारी स्कूलों में समायोजित करने का दौर नहीं चल पाया ।
बारिश का समय आने से पहले प्रेमवती नगर विद्यालय के बच्चें और अध्यापकों को रोज मौत न आ जाने की चिंता सताती रहती है कि कब जर्जर भवन की छतें अब गिरी की तब । बिना पानी, शौचालय व बिजली के चल रहे प्रेमवती नगर विद्यालय में मौत के खौफ की सुविधाएं सरकार की तरफ से नि: शुल्क चल रही है । बड़े हादसे का इन्तजार कर रहे बीएसए प्रवीण मणी त्रिपाठी तथा एडी बेसिक महेन्द्र सिंह राणा तब तक निश्चिन्त है जब तक कोई बच्चा या टीचर मर नहीं जाता है । यदि दुर्घटना होने पर कोई क्षति हो भी जाती है तो राजधानी के ये दोनों बड़े बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सोच रखा है कि किस प्रकार अपनी जान उस बखेड़े से बचा कर रखनी है और दुर्घटना की जिम्मेदारी भवन स्वामी के मत्थें मढ़ देनी है । अब देखने वाली बात ये बनती है कि दुर्घटना पहले होती है या योगी महाराज का योग पहले ही इस होने वाली बड़ी दुर्घटना को भांप को कोई कारगर कदम उठा सकता है ।

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