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संचारी रोगों को मिटाने के लिए अंतर्विभागीय बैठक

अन्तर्विभागीय समन्वयन समिति की बैठक, विभिन्न विभाग मिलकर कर रहे हैं काम
लखनऊ। प्रथम संचारी रोग नियंत्रण पखवाड़ा के अंतर्गत आज मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के सभागार में अन्तर्विभागीय समन्वयन समिति की बैठक का आयोजन किया गया , जिसकी अध्यक्षता सी० एम० ओ० डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल ने की |
सी० एम० ओ० डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि जिले में 10 फरवरी 2019 से प्रथम संचारी रोग नियंत्रण अभियान का शुभारंभ हो रहा है जो कि 28 फरवरी 2019 तक चलेगा | इस अभियान में , जो विभाग प्रतिभाग कर रहे हैं वे अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह जिम्मेदारी से करते हुए अभियान को सफल बनाएं | इस अभियान में सभी गतिविधियों की कार्ययोजना बनाकर अधिक से अधिक लोगों को इस कार्यक्रम के बारे में जागरूक किया जाए और कार्यक्रम से जोड़ा जाए | जिला मलेरिया अधिकारी डी.एन.शुक्ला ने बताया ने बताया कि स्वास्थय विभाग एक नोडल विभाग के रूप में काम कर रहा है और सभी अन्य विभाग मिलकर काम करेंगे | पशुपालन विभाग गाँव में सूअर बाड़ों को चिन्हित कर प्रधान के माध्यम से गाँव के बाहर निकालने का काम करेगा | समेकित बाल विकास विभाग के अंतर्गत, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें एक प्रारूप में लिख कर अपनी रिपोर्ट में देंगी और अन्य विभागों का सहयोग भी करेंगी |
ग्राम्य विकास/पंचायती राज विभाग के अंतर्गत, प्रधान गाँव में ग्राम स्वास्थय स्वच्छता पोषण समिति की बैठक कर उसमें कार्यक्रम के बारे में लोगों को विस्तार से बताना, गाँव में झाड़ियों की सफाई, तालाबों की के किनारों की सफाई व अन्य सार्वजानिक स्थलों की सफाई करवाना और गाँव में ऐसे हैण्डपंप जिनका पानी पीने योग्य नहीं है, उन पर लाल निशान लगाकर उन्हें चिन्हित करना तथा लोगों को बताना कि अब इसका पानी उपयोग करने के लायक नहीं है, के काम का ज़िम्मा रहेगा| ग्राम स्तर पर प्रभात फेरी, ग्रामवासियोँ के साथ साथ साफ सफाई की प्रतिज्ञा करना । गाँव में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अब तक कितने शौचालयों का निर्माण हो चुका है व इस पखवाड़े में कितने शौचालयों का निर्माण हुआ है इसकी रिपोर्ट देना, इसके अलावा गाँव में छोटी-छोटी बैठकें कर लोगों को संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के बारे में बताना भी पंचायती राज विभाग का कार्य होगा|
डी.एन.शुक्ला ने बताया कि शिक्षा विभाग के अंतर्गत, स्कूल के बच्चों को जागरूक किया जाएगा और संचारी रोग नियंत्रण पखवाड़ा की जागरूकता के लिए गाँव में रैली निकाली जाएगी |दिव्यांग कल्याण विभाग दिव्यांग बच्चों के पुनर्वास के लिये सहायक उपकरणों का वितरण करेगा ।स्वच्छ भारत मिशन द्वारा उच्च रोग भार वाले ग्रामों को प्राथमिकता के आधार पर खुले में शौच से मुक्त करना ।कार्यशाला में स्वास्थय, शिक्षा, समेकित बाल विकास, पशुपालन, नगर विकास, ग्राम विकास/पंचायती राज विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग दिवयांगजन सशक्तिकरण विभाग/ समाज कल्याण विभाग, कृषि एवं सिंचाई विभाग एवं सूचना विभाग के ब्लाक स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया |
ए०सी०एम०ओ० राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम, डॉ के०पी०त्रिपाठी ने कहा कि मेरा जनता से अनुरोध है कि वेक्टर जनित बीमारियों से लड़ने के लिए स्वच्छता के अभियान से जुड़ें और अभियान को सफल बनाएं | हम जागरूकता के माध्यम से ही इन बीमारियों पर विजय पा सकते हैं |
कहा कि अभियान के तहत हम अपने सहयोगियों के साथ जिले के स्कूलों में जाकर बच्चों और शिक्षकों को राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोगों जैसे डेंगू व मलेरिया से बचाव कैसे करें, इसके बारे में जागरूक करते हैं |
इस कार्यशाला में एसीएमओ डॉ आर.के.चौधरी, विश्व स्वास्थय संगठन से डॉ सुरभि त्रिपाठी , यूनिसेफ से सौरभ व जिला स्वास्थय शिक्षा अधिकारी, लखनऊ, योगेश रघुवंशी उपस्थित थे |

क्या होता है वेक्टर जनित रोग?
रोगजनक (Pathogens) व परजीवियों की वजह से मनुष्य में होने वाली बीमारियों को वेक्टर जनित रोग कहते हैं | वेक्टर जनित रोग होते हैं , जैसे- डेंगू, चिकनगुनिया, जे०ई०एस०, मलेरिया, स्वाइन फ्लू आदि | वेक्टर जनित रोगों से कैसे बचा जा सकता है ?
डेंगू और चिकनगुनिया का, एडीज एजिप्टी मच्छर द्वारा निर्मित पात्रों/ स्थानों में जमा साफ़ व रुके पानी में ही पनपता है | कूलर व अन्य बर्तन जिनमें पानी का संचयन किया जाता है आदि को सप्ताह एक बार सुखाकर ही पुनः प्रयोग में लायें | घर की छतों, बेकार पड़े बर्तनों, गमलों के नीचे ए०सी० से निकालने वाले पानी पक्षियों के लिए रखे गए पानी के बरतन आदि को सप्ताह में एक बार सुखाकर ही प्रयोग में लायें |
क्या होता है एडीज एजिप्टी मच्छर ?
• एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से डेंगू फैलता है |
• यह एक छोटा काले रंग का मच्छर होता है जिस पर सफ़ेद धारियाँ होती हैं |
• अधिकतर दिन के समय काटता है और बार बार काटता है |
• घरों में अधिकतर अंधेरे वाले कोनों, लटके हुए कोनों या छतरी आदि तथा फर्नीचर के नीचे पाया जाता है |

ज्योति मिश्रा

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