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बर्थडे हेलन: सेकेण्ड वर्ल्ड वार में आई थी भारत, बनी मशहूर डांसर

सलमान खान की है सौतेली माँ
मेरा नाम चिन चिन चू, आ जाने जॉ, महबूबा महबूबा, पिया अब तू आ जा, ये मेरा दिल प्यार का दीवाना जैसे डांसिंग फ़िल्मी नग्में सुनते ही फिल्म अभिनेत्री हेलन की पिक्चर उभर आती है। हेलन का वास्तविक नाम हेलन रिचर्डसन खान है। हेलन का जन्म बर्मा में 21 अक्तूबर 1939 को हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हेलन और उनका परिवार मुंबई आ गये। हेलन के पिता एंग्लो-इंडियन था, दूसरे विश्व युद्ध में पिता की मृत्यु हो गई और हेलन की माता का नाम बर्मीज था और वह बतौर नर्स कार्य करती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण से हेलन ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और परिवार के काम में हाथ बंटाने लगी। उन्होंने मणिपुरी, भरतनाट्यम, कथक आदि शास्त्रीय नृत्यों में भी शिक्षा हासिल की।
हेलन सबसे पहले कोरस डांसर के रूप में 1951 में फ़िल्म “शबिस्तां” और “आवारा” में नजर आई थीं। बॉलीवुड की पहली आइटम गर्ल के तौर पर पहचानी जाने वाली अभिनेत्री हेलन ने बॉलीवुड का उस वक्त आइटम नंबर से परिचय कराया जब वो अपने शुरुआती दौर में था। उनको फ़िल्मों में लाने का श्रेय कुक्कू को जाता है, जो स्वयं उन दिनों फ़िल्मों में नर्तकी के रूप में नजर आती थीं। वर्ष 1958 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘हावडा ब्रिज’ हेलन के करियर की अहम फ़िल्म साबित हुई। इस फ़िल्म में उनपर फ़िल्माया यह गीत ‘मेरा नाम चिन-चिन चू’ उन दिनों दर्शकों के बीच काफ़ी मशहूर हुआ।
साठ के दशक में हेलन बतौर अभिनेत्री अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करने लगी। इस दौरान उन्हें अभिनेता संजीव कुमार के साथ फ़िल्म ‘निशान’ में काम करने का मौक़ा मिला, लेकिन दुर्भाग्य से यह फ़िल्म सिनेमा घर में चल नहीं पाई। साठ और सत्तर के दशक मे आशा भोंसले हिन्दी फ़िल्मों की प्रख्यात नर्तक अभिनेत्री हेलन की आवाज़ मानी जाती थी। आशा भोंसले ने हेलन के लिये तीसरी मंज़िल में ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’ फ़िल्म कारवां में ‘पिया तू अब तो आजा’ मेरे जीवन साथी में ‘आओ ना गले लगा लो ना’ और डॉन में ‘ये मेरा दिल यार का दीवाना’ गीत गाये।
हेलन ने अपने पाँच दशक लंबे सिने करियर में लगभग 500 फ़िल्मों में अभिनय किया। इतने सालों के बाद भी उनके नृत्य का अंदाज़ भुलाए नहीं भूलता है। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘शोले’ में आर. डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में हेलन के ऊपर फ़िल्माया गीत ‘महबूबा महबूबा’ आज भी सिनेप्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर देता है। हालांकि सत्तर के दशक में नायिकाओं द्वारा ही खलनायिका का किरदार निभाने और डांस करने के कारण हेलन को फ़िल्मों में काम मिलना काफ़ी हद तक कम हो गया।
वर्ष 1976 में महेश भट्ट के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘लहू के दो रंग’ में अपने दमदार अभिनय के लिए हेलन को सवश्रेष्ठ सहनायिका के फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘हेलन की नृत्य शैली’ से प्रभावित बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री साधना ने एक बार कहा था, “हेलन जैसी नृत्यांगना न तो पहले पैदा हुई है और ना ही बाद में पैदा होगी।” हेलन के कार्यकाल की कुछ लोकप्रिय फ़िल्में आवारा, मिस कोको कोला, यहूदी, हम हिंदुस्तानी, दिल अपना और प्रीत पराई, गंगा जमुना, वो कौन थी, गुमनाम, ख़ानदान, जाल, ज्वैलथीफ, प्रिस, इंतक़ाम, द ट्रेन, हलचल, हंगामा, उपासना, अपराध, अनामिका, जख्मी, बैराग, ख़ून पसीना, अमर अकबर ऐंथोनी., द ग्रेट गैम्बलर, राम बलराम, शान, कुर्बानी, अकेला, खामोशी, हम दिल दे चुके सनम, मोहब्बते, मैरी गोल्ड आदि हैं। “लहू के दो रंग” (1979)- सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री का फ़िल्मफेयर पुरस्कार। 2006 में जैरी पिंटो ने हेलन के ऊपर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था “द लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ इन एच-बोम्बे”, जिसने 2007 का सिनेमा की बेहतरीन पुस्तक का राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड जीता। 2009 में हेलन को पद्मश्री सम्‍मान से भी नवाजा गया |

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