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श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा पर कोर्ट ने फैसला टाला,

वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति पर भी आदेश नहीं, साक्ष्यों को डीएम संरक्षित करेंगे
वाराणसी। वाराणसी कोर्ट ने गुरुवार 28 सितंबर को ज्ञानवापी में मां शृंगार की नियमित पूजा का फैसला टाल दिया है। इसके अलावा वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति पर भी कोई आदेश नहीं दिया है। ये दूसरी बार है, जब इन दोनों मसले पर फैसला आगे बढ़ाया है। इससे पहले 25 सितंबर को कोर्ट को फैसला सुनाना था, लेकिन 28 सितंबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी। अब दोनों मसले पर 5 अक्टूबर को कोर्ट फैसला सुनाएगा। इसके अलावा कोर्ट ने 2 अन्य याचिका पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि सर्वे में मिलीं वस्तुओं और ऐतिहासिक साक्ष्यों को डीएम के पास सूचीबद्ध किया जाए। कोर्ट को भी एक कॉपी दी जाए। डीएम समय पर इसे कोर्ट में पेश करेंगे। इस दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि ज्ञानवापी परिसर में रहने वाले प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के लोग उसको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वहीं, एएसआई सर्वे का खर्च कौन वहन करेगा? अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। जस्टिस डॉ. अजय कृष्ण ने कहा कि ।ैप् सर्वे की फीस इंतजामिया का सब्जेक्ट नहीं, हम इसे नहीं सुन सकते। अगर वाद दाखिल करना तो सुप्रीम कोर्ट जाएं। अब दोनों याचिका पर 5 अक्टूबर को कोर्ट में सुनवाई होगी।
पहली याचिका में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और 5 महिलाओं की ओर से शृंगार गौरी सहित अन्य विग्रहों के दर्शन पूजन का अधिकार मांगा गया है। अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्ञानवापी में सर्वे के दौरान मिली शिवलिंग जैसी आकृति के दर्शन-पूजन का हर व्यक्ति को अधिकार है। दूसरी याचिका अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने ।ैप् सर्वे को लेकर याचिका दायर की है। इसमें एएसआई के राजस्व का जिक्र किया गया है। इसमें पूछा गया है कि एएसआई सर्वे का खर्च कौन वहन करेगा? जब तक एएसआई को पूरा पैसा एडवांस ना हो, तब तक सर्वे ना कराया जाए। तीसरी याचिका वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति की भी पूजा से जुड़ी है। इसे हिंदू पक्ष ने दायर किया है। हालांकि, इसे और शृंगार-गौरी में नियमित पूजा की याचिका को कोर्ट ने एक कर दिया है। चौथी याचिका हिंदू पक्ष ने दायर की है। इसमें हिंदू पक्ष की मांग है कि एएसआई सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में मिलने वाले अवशेषों को वाराणसी के डीएम को सौंप दिया जाए। इससे पहले याचिका लगाने वाली सीता साहू, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने कहा कि ज्ञानवापी में ।ैप् के सर्वे के दौरान हिंदू धर्म से संबंधित जो भी साक्ष्य मिले हैं, उनकी सूची बनाकर उन्हें जिलाधिकारी को सौंपा जाए।

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