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कोरोना संकट ने ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की रौनक छिनी,घरों में भी सादगी से पर्व मनाने की तैयारी

वाराणसी, (वेबवार्ता)। कोरोना संकट काल में ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ पर्व की रौनक भी छिन गई है। धर्म नगरी काशी में लोग घरों में भी सादगी से पर्व मनाने की तैयारियों में जुटे हुए है। पर्व पर प्रमुख मंदिरों, जिले के सभी थानों और रिजर्व पुलिस लाइन में भी पर्व सादगी से रस्म अदायगी के लिए मनाया जायेगा। पुलिस लाइन और थानों में सभी सार्वजनिक कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये हैं। पर्व पर तीन चार पहले से ही खिलौनों और झांकी सजाने के सामनों की अस्थाई दुकानें सज जाती थी। दुर्गाकुंड स्थित अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कान) मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों को कारीगर रंग बिरंगी बिजली की लड़ियों और विभिन्न प्रकार के बल्बों से सजाते और सवारते थे। घर-घर झांकी से सड़कें-गलियां श्रीकृष्णमय हो जाती हैं। लेकिन, कोरोना के चलते इस वर्ष सारा कार्य स्थगित है। खोजवां शंकुलधारा पोखरा के किनारे स्थित द्वारिकाधीश मंदिर, अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर, नगवा मार्ग स्थित उडुपी श्रीकृष्ण माधव मंदिर, सोनारपुर स्थित सनातन गौड़ीय मठ,चैखंभा स्थित गोपाल मंदिर, दुर्गाकुंड-संकट मोचन मंदिर मार्ग पर स्थित त्रिदेव मंदिर में कोरोना का असर साफ दिख रहा है। मंदिर में पर्व की रस्म सादगी से निभाई जायेगी। सार्वजनिक आयोजन नही होंगे। – ‘श्रीकृष्ण जन्माष्टमी’ की पूजा कैसे करें कोरोना संकट काल में सार्वजनिक स्थानों और मंदिरों में एकत्र होकर पूजा करना संभव नहीं है। ऐसे में अपने-अपने घरों में ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा की तैयारी लोग करें। सनातन संस्था के गुरुराज प्रभु ने सोमवार को बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का समय रात्रि 12 होता है। इसलिए उससे पहले ही पूजन की तैयारी करके रखें। संभव हो, तो रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का सोहर भी गाये। सोहर समाप्त होने पर श्रीकृष्ण की मूर्ति अथवा चित्र की पूजा करें। जिनके लिए भगवान श्रीकृष्ण की ‘षोडशोपचार पूजा’ करना संभव है, वे उस प्रकार पूजा करें। जिनके लिए भगवान श्रीकृष्ण की ‘षोडशोपचार पूजा’ करना संभव नहीं है, वे ‘पंचोपचार पूजा’ करें। पूजा करते समय ‘सपरिवाराय श्रीकृष्णाय नमः’ यह नाममंत्र बोलते हुए एक-एक उपचार भगवान श्रीकृष्ण को अर्पण करें। गुरुराज प्रभु ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को दही-चिवड़ा और माखन का भोग लगाएं इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें। (पंचोपचार पूजा: गंध-चंदन, हलदी-कुमकुम, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य, से पूजा करें।) -श्रीकृष्ण की मानसपूजा जो किसी कारणवश भगवान श्रीकृष्ण की प्रत्यक्ष पूजा नहीं कर सकते, वे भगवान श्रीकृष्ण की ‘मानसपूजा’ करें। (‘मानसपूजा’ का अर्थ प्रत्यक्ष पूजा करना संभव न हो, तो पूजन के सर्व उपचार मानस रूप से (मन से) भगवान श्रीकृष्ण को अर्पण करना।) पूजन के उपरांत कुछ समय तक भगवान श्रीकृष्ण का नामजप ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ करें।

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