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सरिया की कीमत आठ हजार रुपये तक बढ़ी, भवन निर्माण हुआ महंगा

गोरखपुर। कोयला की आपूर्ति में कमी के अलावा यूक्रेन संकट की वजह से सरिया की कीमतों में आठ हजार रुपये प्रति टन तक की बढ़ोतरी हो गई है। इससे भवन निर्माण से लेकर लोहे से निर्मित अन्य सामानों की कीमतों में काफी इजाफा हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रूस-यूक्रेन युद्ध लंबा चला तो कीमतों में और इजाफा हो जाने की आशंका है। फरवरी में सरिया की कीमत 62 हजार रुपये प्रति टन था। मार्च के दूसरे दिन सरिया की कीमत बढ़कर 70 हजार रुपये हो गया। ऐसे में अब मकान बनाना और महंगा हो गया है। सरिया की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। इसके अलावा लोहे से बनने वाली करीब-करीब तमाम चीजें, जैसे कील, तार, नट-वोल्ट, स्टील की पाइप आदि की कीमतों में प्रति क्विंटल एक हजार रुपये तक की बढ़ोतरी हो गई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि लोहे की कीमतों में यह बढ़ोतरी लौह अयस्क के अलावा कोयले की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से है। यूक्रेन से लोहे या स्क्रैप की आयात नहीं होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय बाजार में उथल पथल की वजह से लोहे और स्क्रैप की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। थोक व्यापारी गौरव जिंदल ने कहा कि फरवरी की शुरुआत से दो फरवरी तक सरिया की कीमतों में करीब आठ हजार रुपये प्रति टन की बढ़ोतरी हुई है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद सरिया की कीमतों में करीब 4000 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। स्ट्रील उद्योगपति आरएन सिंह ने कहा कि आज की तारीख में स्टील 70 हजार रुपये प्रति टन हो गया है। जनवरी में यह कीमत 62 हजार रुपये प्रति टन थी। कीमतों में यह बढ़ोतरी यूक्रेन युद्ध की वजह से या कुछ और अभी इस संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता है। लेकिन, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कीमतों में चार हजार रुपये की बढ़ोतरी हुई है।

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