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301 गौरा विधान सभा में शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी को भावभीनी श्रद्धांजलि देकर लोगों ने दो मिनट का रखा मौन

खोडारे गोंडा : खोड़ारे बाजार में शनिवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी को भावभीनी श्रद्धांजलि देकर लोगों ने दो मिनट का मौन रखा।  श्रद्धांजलि देने वालों में मुख्य रुप से डॉक्टर प्रभाकर पांडे अतुल शुक्ला डॉक्टर प्रमोद दुबे पत्रकार अशोक श्रीवास्तव हियुवा के ब्लॉक अध्यक्ष पिंटू यादव, राम सागर चौधरी, रंजीत शुक्ला सहित क्षेत्र के तमाम गणमान्य लोगों ने स्वर्गीय पंडित अटल बिहारी बाजपेई को श्रद्धा सुमन अर्पित कर पुराने बुजुर्गों के बताए हुए बातों की याद ताजा की।  स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने 1957 व 1962 के चुनाव के दौरान में कई दिन खोड़ारे के अल्लीपुर ग्राम मे स्वर्गीय पंडित रमाकांत मिश्रा के यहा कई रात्रि निवास किए व साथ मे भोजन भी कीजिए । वहीं 1957 के लोकसभा चुनाव के दौरान शिवनारायण महतो मझौवातोग के बैलगाड़ी पर बैठ कर अलीपुर बाजार, खोड़ारे, गौराचौकी,तक जाते थे शिव नारायण महतो के पौत्र सागर चौधरी के मुताबिक जब दोपहर में मेरे बाबा के साथ पंडित अटल बिहारी बाजपेई आते थे।  तो गर्मियों के समय में उनका पसंदीदा पेय गुड दही़ के रस के साथ चावल का भूजा सेवन करते थे अल्लीपुर के पंडित श्री श्याम बिहारी मिश्रा जी बताते हैं कि उनके बड़े भाई स्वर्गीय श्री रमाकांत मिश्रा जी माननीय अटल जी के करीबियों में से एक थे। श्री श्याम बिहारी मिश्रा जी भावुक होते हुए दुखी मन से एक समय की बात को बताया जब कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी गिन्नी नगर बाजार में आए हुए थे। तब उनसे मिलने के लिए बड़े भाई स्वर्गीय श्री रमाकांत मिश्रा जी गए हुए थे । हाथ में काजू का पैकेट लिए हुए थे मंच की तरफ बढ़ ही रहे थे । तभी उनके सिक्योरिटी गार्डों ने उन्हें रोक लिया अटल जी की नजर रमाकांत जी पर पड़ी उन्होंने सिक्योरिटी गार्डों को डांटते हुए कहा उनको हमारे पास मंच तक आने दो वह हमारे परम मित्र हैं और रमाकांत जी मंच पर पहुंच गए मंच पर पहुंचते ही उनका सम्मान किया और माननीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने उनके हाथ से काजू का पैकेट ले लिया और भाषण के दौरान ही उसमे से निकाल कर खाने लगे । यह देखकर वहां की जनता अचंभे में रह गई और यह सोचने लगी कि देश का प्रधानमंत्री इस तरह व्यवहार कर रहा है । जैसे कोई एक साधारण आदमी हो । जिस का गुणगान वहां की उपस्थित जनता आज भी कर रही है। उनका यह सरल और सादा स्वभाव देख कर आज भी लोग भावुक होते हुए उनके विचारों का वर्णन करते है । मैं बार-बार नमन और भावुक मन से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। ….

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