Home > पूर्वी उ०प्र० > गोंडा > सम्मान एवं विदाई समारोह पर काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

सम्मान एवं विदाई समारोह पर काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

अजीजुद्दीन सिद्दीकी
मनकापुर ,गोंडा। आईटीआई स्थित केंद्रीय विद्यालय में साहित्यिक प्रोत्साहन संस्थान मनकापुर के संथापक सचिव धीरज श्रीवास्तव एवं ईश्वर चन्द्र मेंहदावली के संचालन में शुक्रवार को एक काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी। कवि डॉ सतीश आर्य की अध्यक्षता में हुई इस काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि कवि डॉ प्रदीप कुमार चित्रांशी (इलाहाबाद) को अंग वस्त्र के रूप में शाल एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। काव्य गोष्ठी से पहले माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष सभी कवियों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पण कर और कवि राम कुमार नारद द्वारा वाणी वन्दना के साथ शुरू की गई । साहित्यिक प्रोत्साहन संस्थान के मीडिया प्रभारी एवं कवि राम लखन वर्मा ने बताया कि मुख्य अतिथि के सम्मान एवं विदाई समारोह में स्थानीय कवियों ने सारगर्भित रचनाएं पढ़ी। जिसमें प्रमुख रूप से कवि पं राम हौसिला शर्मा ने पढा-पथ तो बस पथ होता है, चलकर पूरा होता है। कवि राम कुमार नारद ने पढ़ा – किसके खातिर वीर जवाँ, सरहद की रक्षा करते। किसके खातिर सीमा पर सीने पर गोली सहते। कवि सतीश आर्य ने कहा- मेरी पीड़ा देखकर कल जो गई पसीज। पावों में चुभने लगी आज वही दहलीज। महेंद्र नरायण ने पढ़ा – कल्पना की कल्पना में कलपता ही रहा। चाह में एक साधना की भटकता रहा। डॉ धीरज श्रीवास्तव ने पढ़ा- जैसे तैसे कटी अभी तक, मगर भूख से रही ठनी। शेष बचे दिन कैसे काटे, सोच रहा है रामधनी। पारस नाथ श्रीवास्तव ने कहा – कैसे कह दूं अब तुमसे मैं प्यार नही करता। कैसे कह दूं अब तुम पर यार नही मरता। कवि राम लखन वर्मा ने पढ़ा – इतना है विश्वास हमारा, काला बादल छंट जाएगा। सफर बहुत है लम्बा लेकिन, साथ तुम्हारे कट जाएगा। कवि चन्द्रगत भारती ने पढ़ा – छिपाकर बन्द पलकों में बहुत सा राज बैठी है। नायिका गीत की मेरे रूठकर आज बैठी है। राजेश कुमार मिश्रा ने कहा – यकीनन उसे कामयाबी मिली है। जिसे मिल गयी निगेहबानी किसी की। कवि ईश्वर चन्द्र मेंहदावली ने पढ़ा – मैं आग लिए चलता हूँ, अंगार लिए चलता हूँ। इतने सुंदर कवि श्रोता का प्यार लिए चलता हूँ। कवियत्री इशरत सुल्ताना ने कहा -जिंदगी आ मेरे आगोश में पल भर के लिए। मैं तेरी गोद में सो जाऊं उम्र भर के लिए। उमाकांत कुशवाहा ने कहा – बहता पानी कहे कहानी, जीवन है जल का अनुगामी। चलते जाना ही जीवन है, रूक जाना ही मृत्यु सुनामी। संस्थापक सचिव धीरज श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी कवियों का आभार व्यक्त किया। काव्य गोष्ठी में दर्जनों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *