कविता के क्षेत्र में उभरता हुआ नया चेहरा
गोंडा : हे जग के जन जीव सभी अब जागो हुआ सबेरा है ये प्रभाकर का स्वर्ण पुंज मेरे नैनो को छेडा है खग विहंग वाणी से अपने है सबका मान कर रहे हर मनुज पूजन स्थल पर है आरतिगान कर रहै तारे स्थल छोड खडे न अधियारों का घेरा है हे जग के जन
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