गोंडा : हे जग के जन जीव सभी अब जागो हुआ सबेरा है
ये प्रभाकर का स्वर्ण पुंज मेरे नैनो को छेडा है
खग विहंग वाणी से अपने है सबका मान कर रहे
हर मनुज पूजन स्थल पर है आरतिगान कर रहै
तारे स्थल छोड खडे न अधियारों का घेरा है
हे जग के जन जीव सभी अब जागो हुआ सबेरा है
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रचनाकार- कविराज अनुराग श्रीवास्तव
पूर्व आधुनिक शिक्षक
मदरसा स्काई चिल्ड्रेन एकडमी
केशव नगर ग्रांट कैदराबाद