गोण्डा।उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का एक लंबी बीमारी के बाद कल निधन हो गया उन्होंने 4 जुलाई को संजय गांधी पीजीआई के क्रिटिकल केयर मेडिसिन के आईसीयू में गंभीर अवस्था में भर्ती किए गए थे। लंबी बीमारी और शरीर के अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण आज उन्होंने अंतिम सांस ली भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कल्याण सिंह का पार्टी के साथ ही भारतीय राजनीति में पद काफी विशाल था। अयोध्या विवादित ढांचा के विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था उनके पिता का नाम श्री तेजपाल लोधी और माता का नाम श्रीमती सीता देवी कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अतरौली के विधानसभा के सदस्य थे। वाह बुलंदशहर दादा एटा से लोकसभा सदस्य भी रहने के साथ राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करने के बाद कल्याण सिंह ने लखनऊ में आकर एक बार फिर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। पहली बार कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वर्ष 1991 में बनी और दूसरी बार यह वर्ष 1997 में मुख्यमंत्री बने थे। उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक चेहरों में एक इसलिए माने जाते हैं क्योंकि इनके पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान ही बाबरी मस्जिद की घटना घटी थी। कल्याण सिंह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने के बाद जून 1991 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद उन्होंने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया
कल्याण सिंह 1993 में अतरौली तथा कासगंज से विधायक निर्वाचित हुए। इन चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरा लेकिन सरकार ना बनने पर कल्याण सिंह विधानसभा में नेता विपक्ष के पद पर बैठे। इसके बाद भाजपा बसपा के साथ गठबंधन करके उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई। तब कल्याण सिंह 1997 से नवंबर1999 तक मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत रहे। गठबंधन की सरकार में सबसे पहले मायावती मुख्यमंत्री बनी, लेकिन जब भाजपा की बारी आई तो उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया।
बसपा ने 21 अक्टूबर 1997 को कल्याण सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया। बसपा की चाल भाप चुके कल्याण सिंह पहले ही कांग्रेश विधायक नरेश अग्रवाल के संपर्क में थे और उन्होंने नरेश अग्रवाल के साथ आए हुए विधायकों की पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन कराया 21 विधायकों का समर्थन दिलाया।
नरेश अग्रवाल को अपनी पार्टी में शामिल करके उन्होंने नरेश को ऊर्जा विभाग का मंत्री बनाया।
इसके बाद कल्याण सिंह 1999 में भाजपा से किसी बात से खिन्न होकर पार्टी को छोड़ दिया।
उन्होंने अपनी पार्टी बना ली और मुलायम सिंह यादव के साथ भी जुड़ गए। करीब 5 वर्ष बाद जनवरी 2003 में भाजपा में वापसी कर ली। भाजपा ने 2004 में लोकसभा चुनाव में बुलंदशहर से प्रत्याशी बनाया। और उन्होंने जीत दर्ज की। उन्होंने 2009 लोकसभा चुनाव उसे पहले ही भाजपा छोड़ दी। वे एटा से 2009 में लोकसभा चुनाव निर्दलीय रूप में लड़े तथा जीत दर्ज की। कल्याण सिंह की तबीयत खराब होने के कारण लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में 4 जुलाई से भर्ती थे।
इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने हर दिन उनके स्वास्थ्य का हाल लिया और उनके निर्देश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार निगरानी करते रहे।
लंबी बीमारी और शरीर के अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के कारण कल उन्होंने अपनी आखिरी सांसे ली।