अजीजुद्दीन सिद्दीकी
मनकापुर गोंडा। देश में नोट बन्दी के बाद से ही छोटे व्यापारियों के लिए एक व दो रूपये के सिक्के सिरदर्द बने हुए हैं बड़े दूकान दारों द्वारा सिक्का ना लेने की शिकायतों पर जिला प्रशासन द्वारा फ़रमान भी जारी किये गए किन्तु धीरे धीरे विरोध का स्वर प्रस्फुटित होना बन्द गया थक हार कर छोटे और बड़े व्यापारियों के मध्य प्रति सैकड़ा कटौती करने का समझौता हुआ जिसे स्वीकार करना ही फुटकर दुकानदारों की विवशता बन गयी है।
थोक व्यापारियों के मुताबिक़ फुटकर दुकानदार सिक्के अधिक लाते हैं जिन्हें गिनने और आढ़तियों को देने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, विगत वर्ष से जिले में कुछ बिचौलिए इन सिक्कों की खेप को दस से पन्द्रह रूपये प्रति सैकड़ा कटौती करके नोट में कन्वर्ट कर रहे हैं, इसलिए स्थानीय बाज़ारों में थोक व्यापारियों द्वारा सिक्के में दस रूपये प्रति सैकड़ा कटौती करना उनकी मजबूरी बन गयी है। इसका दुष्प्रभाव फुटकर दुकानदारों की आमदनी पर सीधे पड़ने के साथ सिक्कों में प्रति सैकड़ा कटौती का गोरखधंधा करने वालों की दूकान बड़ी तेजी से चल रही है । धानेपुर बाज़ार में इसकी पड़ताल की गयी तो एक फुटकर फ़ूड कॉर्नर के संचालक ने जो की टाफी, बिस्कुट, नमकीन, चिप्स, कुरकुरे, इत्यादि खाद्य सामाग्री बेचते हैं, उन्होंने बताया की खाद्य सामानों की थोक खरीदारी करने पर सिक्के व्यपारी द्वारा तभी लिए जाते हैं जब उन्हें हजार रूपये के सिक्कों के बदले ग्यारह सौ दिए जाते हैं, यदि कटौती न दिया जाय तो सिक्का लेने से मना कर दिया जाता है, दूकान संचालक ने बताया की दो रूपये से ले कर पांच रूपये तक का फुटकर सामना बेच कर सिक्के ही इकट्ठा होते हैं, कटौती का कोई विरोध इसलिए नही करता क्योंकि व्यापारिक सम्बन्ध खराब होने का खतरा बना रहता है, इसलिए फुटकर दुकारदार मुखर विरोध करने से कतराते हैं।