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नवजात की दिक्कतों को दूर करने में मददगार बना एसएनसीयू

जिला अस्पताल में बच्चों के बेहतर देखभाल के लिए एसएनसीयू की व्यवस्था
रायबरेली। जिला अस्पताल में स्थापित सिक न्यू बार्न केयर यूनिट (एस.एन.सी.यू.) नवजातों को नया जीवन देने में कारगर साबित हो रही है। ऐसी ही एक कहानी है – जिला महिला अस्पताल के (एस.एन.सी.यू.) की। लाल गंज ब्लॉक के गाँव बहाय की रेनू ने लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पुत्र को जन्म दिया। रेनू ने बताया- जन्म के समय बेटा रोया नहीं था और उसका वजन करीब ढाई किलोग्राम था। डाक्टर ने कहा कि नवजात के मुंह में गंदा पानी चला गया है और बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इसके तुरंत बाद एम्बुलेंस से हमें और नवजात को जिला महिला अस्पताल भेजा गया। यहाँ नवजात छह दिन तक हमसे अलग दूसरे वार्ड में रखा गया उसके बाद, दो दिन तक मेरे साथ रहा और उसके बाद हम 9वें दिन घर आ गए। हम दोबारा भी जांच के लिए अस्पताल गए थे डाक्टर ने बताया कि बच्चा अब स्वस्थ है। हम बहुत ही खुश हैं कि बच्चे को समय से इलाज मिल गया और वह ठीक है।
नवजात की जांच और इलाज करने वाले चिकित्सक डा. योगेंद्र सिंह ने बताया- गर्भ में ही बच्चे ने मल त्याग दिया था, वह जन्म के समय रोया नहीं था और उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पा रही थी। इसके साथ ही बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। सीएचसी से नवजात को तत्काल ही जिला अस्पताल लाया गया। नवजात छह दिनों तक एसएनसीयू वार्ड में रहा, जब उसकी स्थिति में सुधार हुआ तब हमने उसे घर भेज दिया।
एसएनसीयू के नोडल अधिकारी एवं जिला महिला अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. एम. के. सिंह बताते हैं- इस बच्चे को समय से सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था तो समय से इलाज मिल गया अन्यथा कोई भी दुर्घटना घटित हो सकती थी।
डा. सिंह ने बताया- हम नवजात को एसएनसीयू वार्ड में तब तक रखते हैं जब तक उसकी स्थिति बेहतर नहीं हो जाती है उसके बाद हम उसे उसकी माँ के साथ दो से तीन दिन तक सघन निगरानी में रखते हैं। जब हम नवजात की स्थिति से संतुष्ट हो जाते हैं कि वह माँ का दूध आसानी से पीने लगा है तभी हम उसे उसके घर भेजते हैं।
जिला महिला अस्पताल की कार्यकारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. तौहीदा ने बताया – गंभीर बच्चों के इलाज में एसएनसीयू अहम भूमिका निभा रहा है। जिला महिला अस्पताल में एक एस.एन.सी.यू. की इकाई स्थापित है, जिसके अंतर्गत 24 घंटे 12 बेड के साथ प्रशिक्षित डॉक्टर एवं नर्स की टीम तैनात रहती है। पिछले एक साल में एसएनसीयू में हमने लगभग 1000 बच्चों का इलाज किया है।
एसएनसीयू स्थापित करने का उद्देश्य जन्मजात बीमार नवजात शिशुओं को बेहतर इलाज मुहैया कराना एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना है। एसएनसीयू में कम वजन के नवजात, सेप्सिस और पीलिया से पीड़ित नवजात का इलाज किया जाता है। इसके साथ ही ऐसे बच्चे जिनमें प्रसव के दौरान मुंह में गंदा पानी चला गया हो, जिन्होंने गर्भ में ही मल त्याग दिया हो, जो जन्म के समय रोए नहीं और जिन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही हो का इलाज किया जाता है।

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