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लखीमपुर खीरी निघासन प्राईवेट मुंशियों के आगे बेबस हुए तहसील व ब्लाक के अधिकारी

प्राईवेट मुंशियो के द्वारा किसानों/आवास लाभार्थियों का खुलेआम किया जा रहा दोहन
निघासन खीरी। खबरदार होशियार यदि आप तहसील व ब्लाक किसी जरूरी काम से आ रहे तो सबसे पहले लेखपालों व ग्राम पंचायत अधिकारियों के द्वारा लगाये गये प्राइवेट मुंशियो की जेब गर्म करने के साथ-साथ उनके आगे अपनी हाजिरी लगानी पड़ती हैं।इन प्राइवेट मुंशियो के कारनामों से क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। तहसील में यदि कोई किसान लेखपाल से खसरा/किसी कागजात पर रिपोर्ट लगवाने आदि जरुरी कागजात लेने के आते हैं।तो किसानों समेत छात्र/छात्राओं को सबसे पहले लेखपालों के द्वारा लगाये गये प्राइवेट मुंशियो की जेबें गर्म करनी पड़ती हैं।ऐसा नहीं करने पर कोई काम होना संभव नहीं हो पाता।तथा सीधे लेखपाल से मिलना हो तो वह दूर की कौड़ी साबित होती हैं।कहीं अगर लेखपाल से बदकिस्मती से भेंट भी हो जाये तो लेखपाल दो टूक शब्दों में कहते हैं,कि हमारे मुंशीजी से मिलों काम हो जायेगा।यही मुंशीयों से जेब चाल की मुलाकात नहीं करते हो तो मुर्झाया चेहरा लेकर वापस घर का रास्ता देखना पड़ता हैं।वहीं लेखपालों के सारे सरकारी दस्तावेज मुंशियों के पास ही मौजूद रहते हैं।इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं,कि सरकारी गोपनीय सूचनाएं व गोपनीय कागजातों की सूचनाएं भी लीक होना लाजमी हैं। सम्पूर्ण समाधान दिवस के दौरान लेखपाल कक्ष में फोटो के माध्यम से एक ग्राम पंचायत के प्राईवेट मुंशी किसान को खसरा बनाते हुए दिखाई दे रहा हैं।उधर ब्लाक निघासन में तमाम ग्राम पंचायत अधिकारियों के कार्यालय में लगाये गये प्राईवेट कर्मचारी आराम फरमाने के साथ-साथ गांवों की भोली भाली जनता से रुपये ऐढने का काम करते हैं।गौरफरमाने की बात यह हैं,कि लेखपालों से लेकर ग्राम पंचायत अधिकारियों के द्वारा लगाये गये प्राइवेट कर्मचारियों को हर माह वेतन/मानदेय कौन देता होगा।यह एक सोचनीय विषय हैं।इस संबंध में उपजिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि इस संबंध में हमें कोई जानकारी नहीं हैं

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