कानपुर। पनकी थानाक्षेत्र स्थित राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रवण कुमार की बदमाशों ने कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फवाई फायरिंग करते हुए फरार हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक के परिजनों को जानकारी देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो सगे भाईयों समेत तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पहले काटा फिर मारी गोली,,,राष्ट्रीय शोषित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रवण कुमार पाल (45) निवासी दमगड़ा का गांव में ही रामऔतार स्मारक इंटर कॉलेज और माता विद्यावती डिग्र्री कॉलेज है। श्रवण अपने अपने साढू अनिल के साथ स्कूटी से सिरसई प्रतापपुर स्थित चैडिया माता मंदिर पर आयोजित भंडारे में गए थे। भंडारे से वापस आ रहे थे, तभी पहले से घात लगाए बैठे आरोपियों ने उन्हें घेर लिया और कुल्हाड़ी व चाबड से कईवार कर दिए। इसके बाद आरोपियों ने उन्हें गोली भी मार दी। हत्याकांड के बाद इलाके में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों ने हत्यारोपियों के घर पर धावा बोल दिया, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। परिजनों ने गांव के के दो सगे भाई धमेंद्र, अमित और संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। सूचना पर एसएसपी अनंत देव तिवार मौके पर पहुंचे और हत्या में प्रयुक्त बंदूक बरामद कर ली है। हत्यारोपितों की गिरफ्तारी के लिए छह टीमें लगाई गई हैैं। मृतक के बेटे के मुताबिक पिता इसी वर्ष लोकसभा का चुनाव जलौन से लड़ा था। उनका गांव के एक अन्य स्कूल संलालक धमेंद्र और अमित के साथ विवाद चल रहा था। आरोपियों ने पिता को जान से मारने की धमकी भरी पंचायत में की थी। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि दो साल पहले तक श्रवण और हत्यारोपी के पिता के बीच गहरी मित्रता थी। आरोपी के पिता ने ही श्रवण कुमार की स्कूल खुलवाने में मदद की, लेकिन पैसों के लेनदेन के कारण दोनों के बीच विवाद हो गया।
इस वजह से की हत्या,,,हत्यारोपी धमेंद्र और अमित के पिता पूर्व प्रधान ओमप्रकाश की मई 2019 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। दोनों भाईयों को शक था स्कूल की प्रतिस्पर्धा में उनके पिता की हत्या श्रवण कुमार ने कराई है। श्रवण ने कईबार दोनों भाईयों को समझाया कि पिता की हत्या में उनका हाथ नहीं हैं, पर वह मानने को तैयार नहीं थे। इसी बीच ग्रामीणों ने पंचायत बुलवाई। श्रवण कुमार और धमेंद्र व अमित भी इसमें शामिल हुए। पंचायत ने दोनों परिवारों को आपसी रंजिश भुलाकर एक होने का फरमान सुनाया, लेकिन धमेंद्र ने पंचायत की बात मानने से इंकार करते हुए खून का बदला खून से लेने का ऐलान कर दिया।