अम्बिकानन्द त्रिपाठी
अयोध्या | अयाेध्या मंगलवार की देरशाम अयोध्यानगरी पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जानकीघाट बड़ास्थान में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहाकि जहां रामलला विराजमान हैं उसी २.७७ एकड़ भूमि पर भव्य श्रीराममन्दिर निर्माण के लिए आगामी २१फरवरी काे शिलान्यास किया जायेगा। पूरे देश की जनभावना राममन्दिर के साथ जुड़ी हुई है। इस शिलान्यास कार्यक्रम में सम्मिलित हाेने के लिए लाखाें की संख्या में रामभक्त अयाेध्या आएंगे, जिसकी तैयारियां शुरू हाे गई है। प्रयागराज कुम्भ में विगत दिनाें हुए परम धर्मसंसद में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की २१ फरवरी काे रामजन्मभूमि पर शिलान्यास की घाेषणा के बाद पहली बार आज अयाेध्या पहुंचे उनके उत्तराधिकारी ने कार्यक्रम से सम्बंधित कुछ स्थानों काे देखा। उसके बाद बड़ास्थान में कुछ चुने हुए लाेगाें के साथ एक बैठक भी की। बैठक के बाद उन्होंने कहाकि आज हम लाेगाें ने जाे कुछ यहां तय किया है। उसकाे जाकर शंकराचार्य काे बतायेंगे और जाे वह निर्णय लेंगे। उसी अनुसार शिलान्यास के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया जायेगा। एक सवाल के जवाब में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहाकि जाे शिलान्यास पहले हुआ था। वह शास्त्र सम्मत नही था। क्याेंकि वह शिलान्यास जहां रामलला विराजमान हैं। वहां से लगभग १९२ फीट की दूरी पर हुआ और बाद में विहिप ने ही वक्तव्य दिया था। जाे कि हमारे पास रिकार्ड भी है। विहिप ने कहाकि था कि यह शिलान्यास सिंहद्वार का किया गया है न की राममन्दिर का। राममन्दिर का शिलान्यास विहिप ने नही किया। यह बात विहिप के लाेग पहले ही स्वीकार कर चुके हैं। ताे फिर आज विहिप क्याें कह रहा है कि शिलान्यास हाे चुका है। चलिए यदि हम मान भी लिया जाए की शिलान्यास उन्होंने कर दिया है। ताे अभी तक श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण क्याें नही हुआ? इसका जवाब विश्व परिषद काे देना होगा। स्वामी ने कहाकि यदि कोई कार्य हम प्रारम्भ करते हैं और उसमें बहुत लम्बा समय बीत जाता है। ताे फिर से उस कार्य का पुनः मुहूर्त करना पड़ता है। वैसे शिलान्यास हुआ नही। अगर हाे भी गया था। ताे निर्माण के लिए शिलान्यास की आवश्यकता है। क्याेंकि बहुत समय हाे गया है। काेई कार्य करने की पहले व्यक्ति इच्छा रखता है। फिर उसका औचित्य देखता है और जब उचित लगता है। ताे उसके लिए प्रयास आरम्भ करता है। हम भव्य राममन्दिर निर्माण के लिए शिलान्यास करना चाहते हैं। क्याेंकि बहुत लम्बा अन्तराल बीत गया है। देश की न्यायपालिका, कार्यपालिका व विधायिका तीनाें से हम अपेक्षा रखते थे। लेकिन तीनाें ने राममन्दिर के मामले काे अपने-अपने समय पर किनारे कर दिया। जाे सनातन धर्मी व रामभक्त थे। वह चले गए। ताे स्वाभाविक है किसी न किसी दिन हमें राममन्दिर की बात करनी थी, जिसके लिए हम सब २१फरवरी काे शिलान्यास करने जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि जहां तक कार्यक्रम के अनुमति मिलने या न मिलने की बात है। ताे हमें नही लगता इसमें काेई राेक है। प्रशासन काे हम कार्यक्रम की सूचना देंगे। हमारा जाे अधिकार है उसमें प्रशासन काेई बाधा नही पहुंचायेगा। क्याेंकि देश और प्रदेश में हिन्दूआें की सरकार है। ताे इस शिलान्यास के कार्यक्रम में राेक नही लगानी चाहिए। राममन्दिर अगर पूरे देश की जनभावनाओं का प्रश्न है। ताे देश की जनभावना का आदर हाेना चाहिए। साथ ही कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका देश के जनता की सेवा के लिए है। भारत के संविधान की भूमिका में यह बात लिखी गई है कि देश सम्प्रभु है और सम्प्रभुता जनता में निहित है। जब देश की अधिसंख्य जनता चाहती है और इसमें फिलहाल काेई विराेध नही है। ताे फिर क्याें राममन्दिर निर्माण में विलम्ब किया जा रहा है। हमारा यह शिलान्यास का कार्यक्रम तभी विराम लेगा। जब श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हाे जायेगा। रसिकपीठाधीश्वर महन्त जन्मेजय शरण ने कहाकि शिलान्यास के कार्यक्रम का मुख्य केन्द्र विन्दु यही जानकीघाट बड़ास्थान ही रहेगा। जहां २१फरवरी काे एक बड़ी सभा हाेगी। उसके बाद यही से लाखाें रामभक्त अपने हाथाें में शिलाएं लेकर राममन्दिर पर शिलान्यास के लिए कूच करेंगे। इस माैके पर पूर्व विधायक अम्बेडकर पवन पाण्डेय, हिन्दू नेता संताेष दूबे, साकेत पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निशेन्द्र माेहन मिश्र समेत अन्य उपस्थित रहे।