उरई। माधौगढ़ लाखों रुपए के घोटाले में संलिप्त भूमि संरक्षण विभाग की लगातार शिकायतें और खबरें छपने के बाद जिलाधिकारी ने मामले का संज्ञान लेते हुए विभाग द्वारा कराए गए विकास कार्यों की फाइलें तलब कर ली है। वहीं जांच में कार्रवाई की लटकी तलवार से बचने के लिए संबंधित इंस्पेक्टर अपने आप को बचाने की जुगत में जुट गए हैं। जबकि किसान नए सिरे से तालाबों की खुदाई कराने लगे हैं लेकिन गोलमाल अभी भी बाकी है। भूमि संरक्षण विभाग द्वारा खेत तालाब योजना के अंतर्गत किसानों के खेतों में जल संरक्षण के लिए तालाबों की खुदाई कराता है। जिसमें सरकार द्वारा 50 परसेंट की सब्सिडी किसानों को दी जाती है लेकिन विभागीय इंस्पेक्टर, ठेकेदार और किसानों का गठजोड़ खेत तालाब योजना के पैसों में अपना भला कर लेता है। ज्यादातर खेत तालाब योजना के अंतर्गत बीहड़ के क्षेत्रों में तालाब खुदवाये जाते हैं। जहां न तो उच्च अधिकारी की नजर पड़ती है और ना ही अन्य कोई आवाज उठाता है। जिसका फायदा विभागीय अधिकारी, ठेकेदार और किसान आपस की मिलीभगत से बंदरबांट कर लेते हैं। यही कारण रहा कि माधवगढ़, नदीगांव और रामपुरा ब्लॉक के ज्यादातर गांव में तालाब मानक के अनुसार नहीं खुदवाये गए बल्कि किसी का खेत,किसी का गाटा न0 दिखाकर पैसा हजम कर लेते हैं। पुराने तालाबों को नया दिखाकर भी पैसा निकाला जाता है। शिकायतों ने जोर पकड़ा तो तालाबों में जेसीबी से नए सिरे से जांच में बचने के लिए औपचारिकता की जाने लगी और अगल-बगल से मिट्टी उठायी जाने लगी। पर जांच का विषय तो यह है कि जब मानक पूरे किए नहीं तो संबंधित इंस्पेक्टर ने भुगतान क्यों कराया? वहीं भूमि संरक्षण अधिकारी शहाबुद्दीन सिद्दीकी ने कहा है कि जांच में दोषी इंस्पेक्टर के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी और किसान ने गलत भुगतान लिया तो रिकवरी कराई जाएगी।
Home > पश्चिम उ० प्र० > उरई > भूमि सरंक्षण विभाग की जांच शुरू,शिकायतों के बाद फिर से चलने लगी जेसीबी