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मजदूर परिवार में महिला को ब्लड कैंसर दानों को मोहताज परिवार कैसे कराए इलाज

इलाज को तरस रही दो अबोध बच्चो की माँ पति ने लगाई विधायक से गुहार

जरूरत मन्दों को नही मिल रही सुविधा वही अमीरों के यहाँ धूल फांक रहे आयुष्मान कार्ड
कदौरा/जालौन । ब्लड कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रही गरीब परिवार की महिला का बेबस परिवार आर्थिक तंगी के चलते दर बदर मदद की गुहार लगा रहे है कल सीएचसी में एडमिट उक्त महिला के पति व परिवार द्वारा विधायक से महिला के इलाज की गुहार लगाई गई जिन्हें विधायक द्वारा आश्वासन दिया गया है।
ज्ञातव्य हो कि विकास खण्ड कदौरा क्षेत्र ग्राम बबीना निवासिनी यशोदा पत्नी राजू धानुक 35 वर्ष के पति राजू धानुक द्वारा मंगलवार को विधायक से गुहार लगाई कि साहब मेरी पत्नी को बचा लो।
मजबूर राजू धानुक ने बताया कि उसकी पत्नी को गत 6 माह से ब्लड कैंसर है जिसने अपनी पत्नी के इलाज के लिए ठोकर खा रहा है उसने बताया कि वह भूमिहीन है एव मेहनत मजदूरी कर ही अपने परिवार का संचालन करता है उसके घर मे पत्नी दो अबोध बच्चे अशोक 10 वर्ष शिवम 8 साल व बेवा मा रामकुँअर है उसने कर्ज लेकर कई जगह अपनी पत्नी का इलाज करा रहा है लेकिन अब उसके पास फूटी कौड़ी भी नही है और पत्नी को इलाज की सख्त आवश्यकता है।
वही विधायक नरेंद्र सिंह द्वारा सीएचसी में कैंसर से जूझ रही महिला को देख परिवार को आस्वासन दिया है।
वही राजू ने कहा क्या सरकार के पास हम गरीबो के इलाज के लिए कोई योजना नही है जिससे इलाज हो सकें।
उक्त गरीब परिवार में बीमारी से जूझ रही गृहिणी के चलते एक टीम खाना नसीब हो जाये तो बड़ी बात है क्यो कि असहनीय पीड़ा व गम्भीर हालत के चलते आये दिन राजू अपनी पत्नी को लेकर झाड़ फूंक व अस्पतालों के चक्कर लगा रहा है लेकिन जब उसके सामने डॉक्टरों द्वारा उचित उपचार का खर्च बताया जाता है तो वह मायूस घर लौट आता है। उक्त मरीज व समाज द्वारा शाशन प्रसाशन से मांग की गयी कि यदि किसी भी तरीके से उक्त गरीब की मदद हो तो वह अपनी पत्नी का इलाज करा सके।अन्यथा किसी भी मुखिया के सामने उसके परिजन का बीमारी से तिल तिल के तड़फना और उसके द्वारा आर्थिक तंगी के चलते कुछ न कर पाना बहुत ही दर्दनाक है।
दुखद ये भी है कि सरकार की आयुष्मान कार्ड योजना में यदि ऐसे गरीबो को सम्मलित किया होता तो शायद ऐसे परिवारों को सुविधा मिल सकती लेकिन उक्त आयुष्मान कार्ड कुछ ऐसे अपात्र लोगो के घरो में धूल फांक रहे है जिन्हें इसकी जरूरत भी नही थी लेकिन चयन प्रक्रिया ने किसी गरीब का हक छिन जाना बेहद शर्मनाक भी है।

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