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क्या आगामी सरकार में बदलेगी माधौगढ़ की दशा या फिर इसी तरह केवल राजनीति होती रहेगी

माधौगढ़ । हर चुनाव में मुद्दा बनने वाली समस्याएं जस की तस स्थापित हैं । यहां की ज्वलंत समस्याओं से घिरे लोगों की न तकदीर बदली, न ही क्षेत्र की तस्वीर। अलवत्ता क्षेत्र की समस्याओं की पतवार के सहारे कई सियासतदानों की तकदीर जरूर बदल चुकी हैं। उनका कद और रुतवा पहले से कई गुना बढ़ गया विधानसभा चुनाव की विभिन्न राजनीतिक दलों से टिकट चाहने वालों की लाइन लग गई है। खुद को जनता का सच्चा सेवक और हमदर्द बताकर उन तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए पिछले दिनों नगर, गांव, चौराहों पर हाथ जोड़े नेताओं के पोस्टरों और वैनरों को लगाया गया था, जिन्हें आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव आयोग के आदेश पर प्रशासन ने उतरवा दिया है वर्ष 2022 के चुनाव की तासीर पिछली बार से अलग दिख रही है। शिक्षा और जागरूकता ने परंपरागत आकलनों की पकड़ को काफी ढीला बना दिया है। या यूं कहें कि मतदाता अब सयाना हो चला है। टीवी, अखवार, चैनलों पर होने वाली देश और प्रदेश की छोटी बड़ी घटनाएं अब भोर होते ही जनमानस में चर्चा का विषय बन जाती हैं, जिनकी पहले गांवों में लोगों को खबर तक जल्दी पता नहीं चलती थी क्षेत्रीय समस्याओं की बात करें तो बेरोजगारी का गहरा दंश झेल रही इस क्षेत्र की युवा पीढ़ी के हाथ में काम न होना सबसे बड़ी समस्या है। सत्ता की ओर टकटकी लगाए लोग आज तक इस इलाके में किसी भी सरकार की ओर से कोई बड़ी फैक्टरी या कारखाने की स्थापना नहीं की गई। कोई साधन न होने से स्थानीय युवा पीढ़ी रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में डेरा जमाने के लिए मजबूर है। अपने गांव, अपनी माटी ने उन्हें पिछले वर्ष कोरोना काल में बहुत रुलाया।

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