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अचानक अटैक पड़ने से मजदूर की मौत परिजनों में मचा कोहराम

दो माह बाद करनी थी बेटी की शादी आर्थिक तंगी से टूट गया मुखिया मजदूर
परिवार में तीन बच्चे व पत्नी हुए बेसहारा
कदौरा/जालौन।बेटी के उपचार के लिए अस्पताल जा रहे मजदूर को अचानक सीने में दर्द उठा और देखते ही देखते उसे पड़ोसियों द्वारा सीएचसी ले जाया गया जहां डॉक्टर द्वारा उक्त युवक को मृत घोषित कर दिया सूचना मिलते ही आश्रित परिजनों में कोहराम मच गया।
ज्ञातव्य हो कि विकास खण्ड कदौरा क्षेत्र ग्राम बबीना निवासी निर्धन मजदूर इकबाल पुत्र स्व हुसैन 36 वर्ष की अटैक के चलते म्रत्यु हो गयी जिससे उक्त परिवार में मातम छा गया। पड़ोसी व ग्रामीण मदारबख़्स निजामुद्दीन इमाम बख्स छोटे विमल खननी आदि द्वारा बताया गया कि इकबाल बुधवार की सुबह अपनी बेटी गुल्फ़सा का इलाज करवाने हमीरपुर की तैयारी कर रहा था तभी सुबह जैसे ही वह शौंच क्रिया के लिए गया तो अचानक उसके सीने में दर्द उठा व लौटने पर उसने बच्चो से चाय मांगी व बेहोश हो गया जानकारी होते ही पड़ोशियो द्वारा उसे सीएचसी कदौरा ले जाया गया जहां डॉक्टर द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया। बताया गया कि उक्त मजदूर अपने परिवार में मुखिया था जो कि मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार में पत्नी व बेटी गुल्फ़सा 18 वर्ष दिलशाद 10 वर्ष मुसाइद 6 वर्ष का भरण पोषण करता था एव कुछ दिनों से बेटी गुल्फ़सा की शादी की तैयारी कर रहा था एव आगे 2 माह में बेटी की शादी करनी थी साथ ही बेटी के उपचार के लिए भी चिंतित था भूमिहीन मजदूर आर्थिक तंगी के चलते वह काफी दिनों से परेशान भी था एव अचानक उसे ठंड य अन्य किसी कारण से अटैक पड़ा व उसकी मौत हो गई।
वही अचानक घटना से म्रतक के परिवार में मातम छा गया मुखिया की मौत से निराश्रित परिवार कैसे अपनी बेटी की शादी करेगा।
वही प्रधान प्रतिनिधि रामहेत द्वारा उक्त गरीब परिवार को सांत्वना दी गयी।
डॉक्टर द्वारा म्रत घोषित करने के बाद भी जीवित होने की शंका पर परिजन दोबारा ले गए अस्पताल, उक्त मजदूर को सीएचसी में डॉक्टर द्वारा म्रत घोषित करने पर पड़ोसियों द्वारा शव को घर ले आये एव उक्त समुदाय में अंत मे दूध पिलाने की रश्म जब परिजन पूरी कर रहे थे दूध म्रतक के गले से नीचे चले जाने से परिजनों को लगा कि वह जीवित है और उसे पुनः इलाज के लिए हमीरपुर ले गए एव रास्ते मे अन्य दवा पिलाई गयी तो वह भी म्रतक के हलक से नीचे उतर गयी एव बाद में डॉक्टर द्वारा म्रत घोषित करने पर उसे घर ले आये।एव परिजन अपने तर्क में ये कहते दिखे कि जब उसे प्रथम बार म्रत् घोषित किया तो वह जीवित था। वही मामले में चिकित्साधीकारी डॉ अशोक चक द्वारा कहा गया उक्त स्थिति में परिजनों का वहम है।

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