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हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक ‘नौचंदी मेला’ ईद के बाद पूरे स्वरूप में होगा

मेरठ। मेरठ जिला प्रशासन ने हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक देश के प्रसिद्ध नौचंदी मेले को भव्य रूप देने की तैयारी शुरू कर दी है। कोरोना संक्रमण के चलते दो साल तक यह मेला प्रभावित हुआ था। प्रशासन के अनुसार, एक माह तक चलने वाला यह मेला ईद के बाद अपने पूरे स्वरूप में होगा। मेरठ के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने सोमवार को नौचंदी मेले की तैयारियों के संदर्भ में पत्रकारों को बताया कि यह एक प्रांतीय मेला है और यह मेरठ की शान व गौरव है। उन्होंने कहा कि नौचंदी मेले को उत्साहपूर्वक व हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। मीणा ने कहा कि नौचंदी मैदान के पुनरुद्धार का कार्य अभी चल रहा है, जो जल्द पूरा हो जायेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि नौचंदी मेले में हर सरकारी विभाग का स्टॉल लगेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा नवाचार, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ियों और सफाई कर्मचारियों आदि से संबंधित सम्मेलन भी मेले के दौरान आयोजित किये जायेंगे। इसके पहले जिलाधिकारी ने जिला पंचायत सभागार में नौचंदी मेले की तैयारियों के संबंध में बुलाई गई बैठक में स्मारिका समिति, पेयजल व्यवस्था समिति, मंच एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, आमंत्रण समिति सहित विभिन्न समितियों के नोडल अधिकारी नामित करते हुए उनके दायित्व भी निर्धारित किये और कार्यों को समय से पूरा करने के निर्देश दिये। दो साल से मेला परिसर की हालत खस्ता हो गई थी, उसे सुधारने के लिए जिला पंचायत की टीमें जुटी हुई हैं। दीपक मीणा के मुताबिक ईद के बाद मेला अपने पूरे स्वरूप में होगा। जिलाधिकारी ने कहा कि मेले में स्कूली छात्र-छात्राओं के कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक व बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिया है कि मेले के दौरान प्रस्तुति देने वाले स्कूली छात्र-छात्राओं की सूची व रोस्टर अभी से बना लें तथा उन्हें दिये जाने वाले प्रमाण पत्र व मेडल बनवाकर उसका अनुमोदन भी ले लें। उन्होने कहा कि नौचंदी में पुस्तक मेला भी लगेगा और सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम भी होंगे। उल्लेखनीय है कि नौचंदी मेले की शुरुआत होली के बाद पड़ने वाले दूसरे रविवार से होती है। हालांकि पिछले कुछ सालों से मेले का उद्घाटन इस परंपरा के अनुसार हो जाता था, लेकिन मेला करीब एक माह बाद शुरू होता था। कोविड-19 के चलते 2020 और 2021 में मेले का आयोजन नहीं हो सका। जानकारों के अनुसार यह मेला हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। नवचंडी माता और हजरत बाले मियां की मजार आमने-सामने बनी है। मंदिर में रोजाना जहां भजन और कीर्तन होता है, वहीं मजार पर कव्वाली होती है। मेले के दौरान मंदिर के घंटों के साथ ही अजान की आवाज गूंजती है। सांप्रदायिक सद्भाव का यह मेला करीब एक महीने चलता है।

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