हरिओम
कानपुर नगर। शहर में बेलगाम हो चुके ई-रिक्शा अब आम जनमानस के परेशानी का कारण बन चुके है। रास्ते, चौराहो पर खडे राहगीरों को ईरिक्शा चालक परेशान करने लगे है। जबरन हाथ पकडकर इरिक्शा में बैठाने लगते है, यह भी नही पूंछते कि जाना कहा है। विरोध करने पर झगडे पर उतारू हो जाते है। वहीं अस्पतालांे के बाहर दर्जनो की तादात में खडे इरिक्शा मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन चुके है। हालात बदतर होते जा रहे है और पुलिस प्रशासन इस ओर सख्त रूुख नही अपना रहा है। कुछ भी हो लेकिन आने वाला समय साफ है कि इरिक्शा के कारण जहां शहर में दुघर्टनाऐ बढेगी तो वहीं मार-पीट की वारदातों में भी बढोत्तरी होगी। शहर के लिए इरिक्शा कोड बन चुके है लेकिन विभाग द्वारा अभी तक कोई रणनीति तय नही की जा सकी है। दूसरी तरह पुलिस 5-10 रू0 प्रति रिक्शा वसूल कर अपनी आंख बद कर लेती है। हैलट और उर्सला अस्पताल के बाहर दर्जनों ईरिक्शा सवारी के लिए खडे रहते है। ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ जांच कराने जाने वाले मरीजों व तीमारदारों को भारी परेशानी होती है। शहर के बडे अधिकारी जब सडकों पर निकलते है तो वीआईपी होने के कारण उन्हे साफ रास्ता मिलता है लकिन यदि असलियत से वह एक दिन रूबरू हो जाये तो हो सकता है कि शहर में यातायात व्यवस्था में उसी दिन से सुधार हो जाये। परेड स्थित उर्सला अस्पताल के बाहर लगी दुकाने, नगर बस, आटो और भारी तादात में खडे ईरिक्शा अब यहीं नही बल्कि शहर के लिए कोढ बन चुके है।