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छोटी दीपावली का क्या महत्व है, इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता

कानपुर देहात | दीपावली त्यौहार के साथ साथ नरक चौदस का भी विशेष महत्व है। इसे दीपावली के एक दिन पूर्व धूमधाम से मनाते हैं। जिसे रूप चतुर्दशी या नरक चौदस अथवा छोटी दीपावली कहते हैं। ऐसा कहा जाता है हम सभी जानते हैं कि मौत के देव यमराज होते हैं। इस दिन जो व्यक्ति मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करता है उसके जीवन में कभी परेशानी दस्तक नहीं देती है। नरक चौदस पर यमराज के लिए दीपक जलाने की मान्यता है। इस दिन लोग घर के बाथरूम, मुख्य द्वार पर व जल निकासी वाले स्थान पर दीप जलाकर रखे जाते हैं।मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्मी असुर नरकासुर का वध किया था और नरकासुर के कारागार से कन्याओं को मुक्त कराया था। तभी से इस दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। जबकि एक और मान्यता है कि जब रंती देव राजा की मृत्यु समय निकट आया और यमदूत आए तो राजा बोले मैंने तो अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया। फिर स्वर्ग की जगह नर्क क्यों चलने के लिए कहा जा रहा है। इस पर यमदूत ने कहा कि एक बार आपने दरवाजें पर भूखे ब्राह्राण को खाली हांथ लौटा दिया था, यह उसी पाप का नतीजा है। इसके बाद राजा ने अपने पापों का पश्चाताप करने के लिए यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। इसके बाद ऋषियों से इस पाप को दूर करने का उपाय पूंछा। इस पर ऋषियों ने आज के दिन व्रत रखकर ब्राह्मणों को भोजन कराने को कहा। राजा ने वैसा ही किया, इसके बाद राजा को विष्णु लोक में स्थान मिला। तब से इस दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और शाम के समय दीप दान किया जाने लगा। कहते हैं इस क्रिया करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।
1-इस दिन घर की साफ सफाई करनी चाहिए। हर कोने की सफाई होनी चाहिए। उभटन लगाकर स्‍नान करना चाहिए। नरक चौदस के दिन तिल के तेल में 14 दीपक जलाने की परंपरा है।
2-घर में रखे खाली पेंट के डिब्‍बे, रद्दी, टूटे-फूटे कांच या धातु के बर्तन किसी प्रकार का टूटा हुआ सजावटी सामान, बेकार पड़ा फर्नीचर व अन्‍य प्रयोग में ना आने वाली वस्‍तुओं को नरक माना जाता है। इसलिए ऐसी बेकार वस्‍तुओं को घर में नहीं रखना चाहिए।
3-इस दिन शाम के समय 4 बत्‍ती वाला मिट्टी का दीपक पूर्व दिशा में अपना मुख कर के घर के मुख्‍य द्वार पर रखना चाहिए। इस दिन नीले और पीले रंग के वत्र पहन की यम की पूजा करनी चाहिए।

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