अपने चरित्र के अभिमान को कैसे त्यागे नारद से सीखें
एक समय राजा उग्रसेन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि वासुदेव नारद जी के गुणगान से मनुष्य को देवलोक की प्राप्त होती है। इसे इतना मैं समझता हूं कि नारद सर्व सद्गुणों में संपन्न है परंतु हे केशव आप मुझे बताएं कि नारद में वे गुण कौन-कौन से हैं, ,, इसके उत्तर में भगवान बोले की हे राजन नारद के जिन उत्तम गुणों में जानता हूं, उसमें प्रमुख गुण यह है कि उन्हें कभी भी अपने चरित्र का अभिमान नहीं हुआ कब क्या बोलना है कितना बोलना है और बोलने से आकाश से ऊपर और आकाश के नीचे की सृष्टि को क्या लाभ होगा इसका सम्यक विचार करना ही नारद गुण सद्गुण है। नारद का कोई प्रिय या अप्रिय नहीं। नारद समदृष्टि है इतिहास को सुनकर विषयों को जीतने वाले नारद है। सज्जन शक्ति के लिए विमर्श के वातावरण को तैयार करने वाले नारद है संसार में के संवाहक नारद है दीनता क्रोध और लोम से मुक्त नारद हैं लोक कल्याण के लिए सदैव प्रत्यनशील रहने वाले नारद ही है। वास्तव में नारद पत्रकारिता के पितृ पुरुष हैं नारद के चरित्र से ही प्रेरणा लेकर भारतीय पत्रकारिता ने हमेशा स्वार्थ लोक एवं माया के स्थान पर धर्म के कार्यों को श्रेष्ठ माना
पत्रकार गुड्डू मिश्रा