तरुण जयसवाल
दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के सीधे प्रसारण की तर्ज पर अब संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर सुप्रीम कोर्ट में चलने वाली न्यायिक कार्यवाही का भी सीधा प्रसारण होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस पर सहमती जताते हुए कहा कि देशभर में अदालतों की कार्यवाही की लाइव- स्ट्रीमिंग संबंधी समग्र दिशा- निर्देश बनाने के लिए वे एजी को सुझाव दें।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर केंद्र लाइव प्रसारण पर राजी है तो सुप्रीम कोर्ट को इससे कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि कोर्ट नंबर एक से लाइव प्रसारण की शुरुआत की जा सकती है। दरअसल वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर शीर्ष अदालत में न्यायिक कार्यवाही के सीधे प्रसारण की मांग की थी।
जयसिंह ने व्यक्तिगत रूप से पेश होते हुए कहा था कि नागरिकों को सूचना का अधिकार है और संवैधानिक तथा राष्ट्रीय महत्व के मामलों का सीधा प्रसारण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में इस तरह की व्यवस्था पहले से लागू है और अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत सहित अदालत की कार्यवाही की सीधा प्रसारण यूट्यूब पर उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत उन मामलों में सीधे प्रसारण और वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगा सकती है, जिसमें उसे निजता प्रभावित होने का खतरा हो।
न्यायाधीश ने दी अनुमति
इस दौरान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि मामले पर उचित समय पर सुनवाई होगी। बता दें कि शीर्ष अदालत ने पारदर्शिता लाने के प्रयास में हर राज्य में निचली अदालतों और न्यायाधिकरणों की आडियो के साथ सीसीटीवी वीडियो रिकार्डिंग की अनुमति दी थी।