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रामलला के सामने साष्टांग प्रणाम और भूमि पूजन के बाद मिट्टी को माथे पर लगाया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने।

सनातन संस्कृति का शानदार प्रदर्शन। पूरा देश गवाह बना। 500 वर्ष के संघर्ष की पूर्णाहूति।

संवाददाता अखिलेश दुबे
लखनऊ। नरेन्द्र मोदी जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थे, तब 1991 में मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या गए थे। तब रामलला की प्रतिमाओं और जन्म भूमि स्थल को देखकर संकल्प लिया कि अब मैं अयोध्या तभी आऊंगा जब मंदिर निर्माण का काम शुरू होगा। प्रधानमंत्री के पिछले छह वर्ष के कार्यकाल में नरेन्द्र मोदी कई बार उत्तर प्रदेश गए, लेकिन अयोध्या में रामलला के दर्शन नहीं किए। तब कई बार मोदी को आलोचना का शिकार भी होना पड़ा। लेकिन 5 अगस्त 2020 को मोदी ने 1991 में लिया गया संकल्प पूरा कर दिया। मोदी ने भव्य तरीके से रामलला का मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। इसके साथ ही पांच सौ वर्षों से चला आ रहा संघर्ष भी खत्म हो गया। अयोध्या में जन्मस्थल पर ही भगवान राम का मंदिर बने इसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया। 5 अगस्त को जब मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ तो पूरे देश ने हर्ष का माहौल देखा गया। भारत वर्ष में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में रहने वाले रामभक्तों ने भी टीवी पर भूमि पूजन का समारोह देखकर खुशी जाहिर की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की सनातन संस्कृति का प्रदर्शन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अयोध्या में मोदी ने सुनहरी रंग का कुर्ता और हल्के हल्दी रंग वाली धोती पहनी। कुर्तें पर सिंदूरी रंग का गमछा पहना। इस वेशभूषा में मोदी रामभक्त ही नजर आ रहे थे। रामलला की प्रतिमा के सामने जब मोदी ने साष्टांग प्रणाम किया तो पूरा देश भावविभोर हो गया। यदि किसी देश का प्रधानमंत्री इस समर्पण भावना से स्वयं को प्रस्तुत करे तो देश गौरवांवित होना स्वभाविक है। वर्ष 2014 में जब नरेन्द्र मोदी पहली बार संसद भवन गए तो सीढिय़ों पर इसी तरह साष्टांग प्रणाम किया था। देशवासियों को पांच अगस्त को वो ही दृश्य देखने को मिला। जन्म भूमि पर मंदिर बनाने की पूजा के पहले मोदी ने अयोध्या में हनुमानगढ़ी जाकर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने पूजा की। थाली में रखे दीपक से निकलती अग्नि को मोदी ने सनातन संस्कृति के अनुरूप प्रतिमा की ओर प्रवाहित किया। इससे प्रतीत हो रहा था। कि मोदी अपने देश की संस्कृति पर कितना भरोसा करते हैं। इसी प्रकार भूमि पूजन के बाद मोदी ने मिट्टी को अपने माथे पर लगाया। जिस स्थान पर भूमि पूजन हुआ उसी स्थान पर अब रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। यानि मोदी ने इस मिट्टी को माथे पर लगाया है। जहां पर रामलला विराजमान होंगे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मिट्टी में कितनी ताकत होगी। मोदी ने मुहूर्त के अनुरूप दोपहर 12 बजकर 44 मिनट पर भूमि पूजन का काम पूरा किया। मोदी ने इसी परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया। मान्यता है कि पारिजात के पेड़ पर जो फूल लगते हैं। उनसे लक्ष्मी प्रसन्न होती है। सब जानते है। कि वर्षों से अयोध्या में रामलला टेंट में विराजमान थे। देशवासियों के लिए अब यह गौरव की बात है। कि रामलला भव्य मंदिर में स्थापित होंगे। वर्ष 1989 में मंदिर निर्माण के लिए देशभर से दो लाख 75 हजार शिलाएं मंगाई गई थी। उन्हीं में से आठ शिलाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 अगस्त को नींव में रखा है। भूमि पूजन के समारोह में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, महंत नृत्यगोपाल दास आदि खासतौर से उपस्थित रहे। भूमि पूजन की धार्मिक रस्मों को निभाने में श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंदगिरी महाराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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