लखनऊ। दक्षिण भारत के राज्य केरल के लाखो परिवार के लोग इस शताब्दी के सबसे भीषण व भयानक तबाही वाले बाढ़ की आपदा के कारण बुरी तरह से प्रभावित है और वे जीवन-मरन का हर दिन लगातार संघर्ष कर रहे हैं परन्तु बीजेपी की केन्द्र सरकार गै़र-बीजेपी शासित इस राज्य के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है जिसकी बी.एस.पी. कड़े शब्दों में निन्दा करती है तथा माँग करती है कि केन्द्र सरकार इसको ’’राष्ट्रीय आपदा’’ घोषित करके केरल सरकार को मदद व वहाँ लोगों को राहत, सहायता व पुनर्वास में सहयोग करे और इस राष्ट्रीय कर्तव्य के निर्वहन में किसी भी कानून को आड़े नहीं आने देना चाहिये। बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अ/यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद मायावती ने आज एक बयान में कहा कि बाढ़ की भीषण आपदा से पूरा केरल राज्य व कर्नाटक के कुछ भाग भी काफी ज्यादा प्रभावित हुये हैं और पूरे देश के लोग व विभिन्न संस्थायें भी अपने-अपने स्तर पर केरल के लाखों परिवार के लोगों की हर प्रकार से मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, परन्तु केन्द्र सरकार का रवैया इस मामले में पूरी तरह से गंभीर व संवेदनशील नहीं होकर लोगों को काफी उदासीन बना हुआ नजर आता है। केन्द्र की सरकार केरल की भीषण तबाही व बर्बादी को ना तो ’’राष्ट्रीय आपदा’’ घोषित कर रही है और ना ही केरल राज्य को अपने स्तर पर अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये स्टेट जी.एस.टी. के अन्तर्गत सेस (बमेे) लगाने की अनुमति देने के मामले में गंभीरता व ईमानदारी नहीं दिखा रही है, जिसे बीजेपी सरकार की संकीर्ण राजनीति नहीं तो और क्या कहा जायेगा?बी.एस.पी. दक्षिण भारत ज़ोन के सभी राज्यों की यूनिट व शाखाओं को इस प्राकृति आपदा से निपटने में केरल को तन, मन, धन से पूरा-पूरा सहयोग करने के लिये पुनः निर्देशित करते हुये सुश्री मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार की घोर उदासीनता व निष्क्रियता का ही परिणाम है कि केरल के माननीय मुख्यमंत्री को दुनिया भर में रहने वाले मलयाली केरलवासियों से सहायता व सहयोग करने की अपील करनी पड़ी है।केरल राज्य के लाखों परिवार के लोग पिछले सौ वर्षों की बाढ़ की सबसे ज्यादा भयानक प्राकृतिक विपदा व विपत्ति झेल रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी समस्या राहत व पुनर्वास की है, जिसके लिये केन्द्र सरकार को पूरी गंभीरता से आगे आने की जरूरत है। लेकिन अब तक का अनुभव यह बताता है कि केन्द्र सरकार केवल खोखली बयानबाजी व घोषणाओं से ही संतुष्ट नजर आती है तथा इनके मंत्री राज्यों के साथ वाद-विवाद में ही उलझे हुये हैं। केरल के करीब 10 लाख परिवारों ने अपना घरबार खो दिया है, वहँा महाविपत्ति का माहौल है।ऐसी घोर विपत्ति के समय में केन्द्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की सरकारों को भी अपनी-अपनी पार्टी की राजनीतिक संकीर्णता को भुला कर भरपूर तरीके से आगे आना चाहिये, यही समय की ज़रूरत व माँग है।इसके अलावा उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ के हालात से काफी क्षेत्रों में जन-जीवन काफी ज्यादा प्रभावित है और इसके लिये इन राज्यों की सरकारों को लापरवाही व उदासीनता के बजाय पूरी गंभीरता व तत्परता से काम करने की जरूरत है। मंत्रियों के हवाई दौरे से ज्यादा बाढ़ पीड़ित जिलों के स्थानीय ज़िला प्रशासन की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त व उन्हें आवश्यक संसाधन मुहैया कराने की जरूरत है ताकि सही मायने में बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुँच सके।
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