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किशोरी दिवस पर पोषण पाठशाला का आयोजन कर दी गई एनीमिया दूर करने की जानकारी-

रिपोर्टर संदीप


बलरामपुर 8 जुलाई। एनीमिया (खून की कमी) एक प्रमुख जन समस्या है। जिसके कारण जिले के विभिन्न आयु वर्ग के लोगों में एनीमिया एक गंभीर समस्या बनी हुई है। इसीलिए ‘‘एनीमिया मुक्त भारत” के नारे के साथ जिले के उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर किशोरी दिवस का आयोजन किया गया। ‘‘किशोरियों में एनीमिया की पहचान और उसका समाधान’’ थीम पर फोकस करते हुए किशोरियों को आयरन की गोली देने के साथ उनमें कुपोषण की जांच की गई। देहात व गैसड़ी परियोजना क्षेत्र के उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर किशोरी दिवस के दौरान पोषण पाठशाला का आयोजन भी किया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सत्येन्द्र सिंह ने बताया कि सोमवार को नौ ब्लाकों के सभी 215 शहरी व ग्रामीण उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर किशोरी दिवस का आयोजन किया गया। मुख्य सेविकाओं की देख रेख में 11 से 14 वर्ष की स्कूल जाने वाली किशोरी और स्कूल ना जाने वाली किशोरियों की लंबाई व वजन की जांच आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और हीमोग्लोबिन व खून की जांच एएनएम के द्वारा की गई। हीमोग्लोबिन की कमी पाये जाने पर उन्हे आयरन की गोली का वितरण किया गया। किशोरियों में एनीमिया की कमी को दूर करने के लिए सामुदायिक स्वाथ्य केन्द्रों पर भेजा जाएगा। सभी किशोरियों का हैल्थ कार्ड बनेगा और उनका बॉडी मास इंडेक्स ( बीएमआई) की गणना भी की जाएगी।
किशोरी दिवस पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डा. जावेद व देहात परियोजना के सीडीपीओ राकेश शर्मा ने कई स्वास्थ्य उप केन्द्रों का निरीक्षण किया। डा. जावेद ने स्वास्थ्य पर केन्द्र पर निरीक्षण के दौरान पोषण पाठशाला में किशोरियों को बताया कि खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन की गोलियों को वे दूध व चाय के साथ न लें बल्कि इन्हें विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नींबू पानी, आंवला या संतरे के साथ लें क्यों कि इससे शरीर में लौह तत्वों का अवशोषण बढ़ जाता है। प्राथमिक विद्यालय कलवारी में निरीक्षण के दौरान सीडीपीओ राकेश शर्मा ने किशोरियों को भोजन में हरी साग सब्जियाँ जैसे पालक, बथुआ, सरसों के साथ साथ गुड़ का सेवन करने की सलाह दी। उन्होने बताया कि स्कूल न जाने वाली किशोरियाँ प्रातःकालीन सत्र में व स्कूल जाने वाली किशोरियाँ दोपहर के बाद प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्रों व उपकेन्द्रों पर आकर अपना हेल्थ कार्ड बनवा सकती हैं। इसके साथ ही साथ किशोरियों को एनीमिया की रोकथाम के लिए खान पान के संबंध में भी आशा, एएनएम व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा परामर्श भी दिया गया।
प्रदेश में 53.7 प्रतिशत किशोरियां एनीमिया से ग्रसित
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार प्रदेश में 15 से 19 आयु वर्ग की लगभग 53.7 प्रतिशत किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हैं। किशोरावस्था के दौरान होने वाली तीव्र शारीरिक वृद्धि तथा माहवारी के दौरान अधिक रक्त स्राव के कारण, किशोरियों में एनीमिया तथा उससे जुड़ी कमजोरी की अधिक सम्भावनाएं रहती हैं। डा. जावेद के अनुसार एनीमिया की व्यापकता 12-13 वर्ष की आयु के बीच सबसे अधिक रहती है। यही आयु माहवारी की शुरूआत की औसत आयु होती है।

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