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यूपी में पेंडिंग हैं 18 लाख राजस्व प्रकरण

सीएम खफा, होगी ऑनलाइन निगरानी
अकेले भूमि सीमांकन के हैं 5,31,307 मामले , 99,060 मामले तहसील अदालतों में लंबित
लखनऊ (यूएनएस)। राजस्व के लम्बित मामले बड़ी समस्या बन गये हैं। समय से निस्तारण न होने के कारण अक्सर विवाद आपराधिक स्वरूप ले लेते हैं। राजस्व महकमे और पुलिस की लापरवाही बड़ी घटना का कारण बन जाती है। राजस्व के मामलों को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ काफी गम्भीर हैं, अब जो लापरवाही करेगा वो भरेगा। सीएम योगी के सख्त निर्देश के बाद एक्शन शुरू हो गया। 18.4 लाख राजस्व मामले लंबित हैं। उत्तर प्रदेश राजस्व बोर्ड ने ऐसे मामलों के शीघ्र निपटान और मंडलायुक्तों और जिला मजिस्ट्रेटों को जवाबदेह बनाया है।मुख्यमंत्री योगी के निर्देश के बाद नियमित रूप से उनकी प्रगति व स्थिति की निगरानी के लिए डैशबोर्ड लॉन्च किया है। विवाद समाधान में देरी हो रही । राजस्व विभाग की आयुक्त मनीषा त्रिघाटिया के मुताबिक राजस्व अदालतों की कार्यवाही में पारदर्शिता के लिए राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन आरसीसीएम प्रणाली शुरू की गई है।आरसीसीएम डैशबोर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अदालतों में राजस्व मामलों की कुल संख्या 197.4 लाख यानि 1.97 करोड़ है, जिनमें से 179 लाख यानि 1.79 करोड़ मामलों का निपटारा किया जा चुका है। आयुक्त ने कहा कि मामलों की नियत तारीख, अदालत द्वारा पारित आदेश और अदालती कार्यवाही के बारे में जानकारी वादियों, अधिवक्ताओं और आम लोगों के लिए उपलब्ध है, राजस्व बोर्ड मामलों के त्वरित निपटान के लिए प्रौद्योगिकी का भी उपयोग कर रहा है। जहाँ तक नियमित निगरानी का सवाल है। वादियों और अन्य इच्छुक व्यक्तियों को अदालत में जाने की जरूरत नहीं है, लेकिन वे वेबसाइट पर ब्राउज करके विवरण प्राप्त कर सकते हैं, जिसमें नायब तहसीलदार और राजस्व बोर्ड की अदालतों सहित 2,949 राजस्व अदालतों में मामलों की जानकारी है। 18.4 लाख अनसुलझे मामलों में 3.1 लाख मामले एक साल से अधिक समय से, 2.6 लाख मामले तीन साल से अधिक समय से और 2.5 लाख मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं। राजस्व बोर्ड को विभिन्न अदालतों में लंबित 5.9 लाख मामलों की स्थिति अपडेट होनी है।राजस्व बोर्ड अदालत में पंजीकृत 66,899 मामलों में 24,309 मामलों का निपटारा हो चुका है जबकि 42,590 मामले लंबित हैं। संभागीय अदालतों में 3,33,172 मामलों में 1,95,6801 मामलों का निपटारा किया जा चुका है जबकि 1,37,492 मामले लंबित हैं। सबसे अधिक 1,92,61,725 मामले जिला अदालतों में दर्ज किए गए, जिनमें से 1,75,68,300 मामलों का निपटारा किया जा चुका है और 16,93,425 मामले लंबित हैं। भूमि सीमांकन से संबंधित 5,31,307 मामले हैं और उनमें से 99,060 मामले तहसील अदालतों में लंबित हैं। स्थानांतरण द्वारा भूमि पर कब्जे से संबंधित 1,26,15,003 मामलों में से 7,71,343 मामले अदालतों में लंबित हैं। 83,521 मामले औद्योगिक, वाणिज्यिक या आवासीय उद्देश्यों के लिए भूमि के उपयोग से संबंधित हैं और 5,391 मामले लंबित हैं। ग्राम पंचायत भूमि के दुरुपयोग से जुड़े 3,64,057 मामलों में से 1,77,870 मामले अदालतों में लंबित हैं। भूमि जोत के बंटवारे के 4,81,801 मामले और ऐसे 1,72,900 मामले तहसील अदालतों में लंबित हैं।भूमि विवादों पर लगाम के लिए राजस्व परिषद तकनीक का इस्तेमाल कर कृषि भूखंडों को यूनिक कोड दे रहा है। किसी विशेष भूखंड से संबंधित मामले ऑनलाइन उपलब्ध होंगे, भूखंडों की बिक्री और खतौनी,खसरा जमीन का विवरण, यहां तक कि परिवार के सदस्यों के बीच भूमि के बंटवारे का छोटा विवरण भी ऑनलाइन उपलब्ध होगा। राजस्व विभाग लोगों के स्वामित्व वाली भूमि की डिजिटल हस्ताक्षरित प्रति उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है।12 अक्टूबर को हुई समीक्षा बैठक में सीएम ने नामांतरण, विरासत, परिवार के सदस्यों के बीच जमीन का बंटवारा और जमीन की पैमाइश समेत आम लोगों से जुड़े राजस्व के मामलों के निस्तारण में देरी पर नाराजगी जताई थी।मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व मामलों में श्तारीख पर तारीखश् की प्रवृत्ति स्वीकार नहीं ।उन्होंने कहा कि न केवल लेखपाल और राजस्व निरीक्षकों सहित राजस्व विभाग के कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, बल्कि इस मामले में मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। उत्तर प्रदेश राजस्व विभाग का मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश है कि भूमि विवाद के लंबित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करें। इसको लेकर जिलों में 60 दिनों का विशेष अभियान चलेगा।

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