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सीटों को लेकर अभी से असहज हो रहे सपा के सहयोगी दल, समीकरण के हिसाब से चाह रहे सीटें

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख सहयोगी दल अभी से ही सीटों को लेकर असहज हो रहे हैं। इसकी वजह यह है कि गठबंधन के तहत सपा द्वारा जो सीटें सहयोगी दलों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (कमेरावादी) को दी गई हैं, उनमें से कई सीटों पर चुनाव लड़ने को दोनों दल राजी नहीं हैं। ऐसे में इन सीटों को बदलने को लेकर सहयोगी दल अभी भी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर दबाव बनाए हुए हैं। दरअसल सपा की तरह सहयोगी दल भी यही चाहते हैं कि उनको भी वहीं सीटें दी जाएं, जिसे जीतने में कोई संशय न हो। इसके लिए दोनों दलों ने अपनी-अपनी जाति के समीकरण के लिहाज से सीटों को चिह्नित करके सपा अध्यक्ष को लिस्ट भी सौंप दी थी। उन्हें उम्मीद थी उनके हिस्से में वही सीटें मिलेंगी, लेकिन उनमें कई सीटें ऐसी दी गई हैं, जिस पर न जातीय समीकरण अनुकूल है और न ही दोनों दलों के नेताओं का ही प्रभाव है। सुभासपा चाहती थी कि उन्हें अवध की सीतापुर, लखीमपुर के अलावा अधिक से अधिक सीट पूर्वांचल में दी जाएं। खास तौर पर वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, मऊ और देवरिया में। इसी प्रकार अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने भी वाराणसी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ की उन सीटों पर ही दावेदारी कर रखी थी, जिन पर कुर्मी मतदाताओं की संख्या अधिक है। लेकिन, सपा ने पल्लवी पटेल को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ कौशांबी की सिराथू सीट पर उतार दिया। इसे लेकर अपना दल के नेता असहज महसूस कर रहे हैं। इस सीट की घोषणा के तत्काल बाद ही पार्टी के महासचिव पंकज पटेल निरंजन ने असहजता जाहिर भी कर दी थी। हालांकि उन्होंने स्पष्ट तौर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारे में संकेत जरूर किया है कि यदि सपा एक सीट भी नहीं देगी तो भी अपना दल उनकी लड़ाई में साथ खड़ा रहेगा। सिराथू सीट पर पल्लवी के उम्मीदवारी की घोषणा के तत्काल बाद पल्लवी के पति पंकज के इस बयान के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो कृष्णा पटेल का सबसे अधिक जोर वाराणसी की रोहनिया या पिंडरा सीट को लेकर है, लेकिन समाजवादी पार्टी इन सीटों को अपने लिए सबसे अधिक उपयुक्त मान रही है। इसलिए सपा उन्हें किसी और जिले में सीटें देने की बात पर अड़ी है। ऐसे में दोनों दलों के बीच वाराणसी की किसी एक सीट को लेकर रस्साकसी चल रही है।
सपा और सुभासपा के बीच अब भी कुछ सीटों पर सहमति नहीं बन पा रही है
उधर, सुभासपा के साथ भी कुछ ऐसी ही स्थिति बताई जा रही है। आपसी समझौते में सुभासपा को करीब 14 से 16 सीटें दिए जाने की बात कही जा रही है। सुभासपा अभी तक 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है। कहा जा रहा है कि सपा और सुभासपा के बीच अब भी कुछ सीटों पर सहमति नहीं बन पा रही है। सूत्रों की माने तो सुभासपा आजमगढ़ और बलिया में ऐसी कई सीटों पर दावा कर चुकी है, जिस पर सपा का कब्जा है। संभावना है कि एक-दो दिन के भीतर तीनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर छाया धुंध हट सकता है।

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