लखनऊ (यूएनएस)। 23 मार्च का दिन पूरे देश में शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन 23 मार्च सन 1931 को लाहौर जेल में क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटानिया हुकूमत ने तय समय से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया था। शनिवार को राजधानी के शहीद स्मारक पर अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के विभिन्न संस्थाओं के लोग एकजुट हुए। गोमती नदी के किनारे शहीद स्मारक की बात करें तो यहां केवल शहीद ए आजम भगत सिंह की मूर्ति स्थापित है और उसकी हालत भी बहुत खस्ता है। सुखदेव और राजगुरु की मूर्तियां तो आज तक सरकार लगवा ही नहीं सकी है। भगत सिंह की स्थापित मूर्ति सन 2014 में अनिल दीक्षित और अनुपम मिश्रा द्वारा लगवाई गई थी जिसका रखरखाव भी सरकार नहीं कर पा रही है। लोक निर्माण विभाग को सन 2001 में 9.40 लाख रूपए जारी किए गए थे जिसमें से विभाग द्वारा केवल 5.40 लाख रुपए खर्च किए गए परंतु एक भी मूर्ति स्थापित ना हो सकी। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की मूर्तियां आज भी सरकार की राह ताक रही है। भगत सिंह की स्थापित मूर्ति की खस्ता हालत देख कर श्रद्धांजलि अर्पित करने आए समाजसेवी अनिल दीक्षित ने कहा कि सरकार जब अमर शहीदों के प्रति ऐसी उदासीनता दिखा रही हैं तो आम जनता का क्या ठौर ठिकाना होगा। शहीद ए आजम भगत सिंह की मूर्ति का रखरखाव लेने की बात करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि सबसे पहले जारी की गई रकम का हिसाब लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करें और अविलम्ब भगत सिंह की मूर्ति का उचित रखरखाव तथा साथ ही सुखदेव व राजगुरु की लम्बित मूर्तियों को स्थापित करें जिससे कि आमजन अपने देश के सच्चे हीरोज से रूबरू होते हुए प्रेरणा ले सकें।